जम्मू कश्मीर में सरकार गठन को लेकर गुरुवार को भी अनिश्चय की स्थिति बरकरार रही, जिसमें भाजपा जहां राज्य की मुख्यधारा के दलों के साथ भागीदार की तलाश कर रही है वहीं नेशनल कांफ्रेंस ने भगवा दल के साथ गठबंधन करने की संभावना से वस्तुत: इनकार कर दिया।

भाजपा 25 विधायकों के साथ 87 सदस्यीय विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। उसने 15 विधायकों वाले नेकां के साथ पहले गठबंधन के विकल्प को तलाशने का प्रयास किया था। माना जा रहा है कि दोनों दलों के नेतृत्व के बीच विचार विमर्श भी हुआ, लेकिन उसमें कोई बात नहीं बन सकी।
इस बात को लेकर लगातार खबरें आ रही हैं कि निवर्तमान मुख्यमंत्री व नेकां के कार्यवाहक अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से बुधवार रात मुलाकात की थी, लेकिन भाजपा ने इससे इनकार किया था।

नेकां के एक वरिष्ठ नेता ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि उनकी पार्टी के भाजपा के साथ मूलभूत मतभेद हैं और नेकां के भाजपा से हाथ मिलाने की संभावना लगभग शून्य है। यह बात उमर की उस संक्षिप्त टिप्पणी से उभरी है जिसमें उन्होंने नेकां के चिर प्रतिद्वंद्वी पीडीपी को समर्थन की चौंका देने वाली पेशकश करके की थी और वह पीडीपी के जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘पीडीपी को की गई पेशकश गंभीर है और इसे हल्के में नहीं किया गया। अब यह उन पर निर्भर करता है कि वह पेशकश पर फैसला करें।’

इस बीच, पीडीपी की दुविधा का संकेत दे रही उसकी चुप्पी गुरुवार को भी बरकरार रही। उसने इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि वह भाजपा के साथ जाएगी अथवा नेशनल कांफे्रस व 12 विधायकों वाली कांगे्रस का समर्थन स्वीकार करेगी।

कांग्रेस पीडीपी को मनाने की कोशिशें जारी रखे हुए है। पार्टी के राज्य अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज ने पीडीपी प्रमुख मुफ्ती मोहम्मद सईद से समान विचारधारा वाली पार्टियों अथवा समूहों के गठबंधन का नेतृत्व करने का आग्रह किया है। सोज ने कहा, ‘सिर्फ इसी तरह से जनादेश का सम्मान किया जा सकता है।’
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भाजपा को सरकार से बाहर रखने के लिए पीडीपी के पास कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के साथ पर्याप्त सदस्य हैं। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर (घाटी) ने भाजपा को नकार दिया है और उसे सत्ता से बाहर रखने के लिए ही वहां भारी मतदान हुआ। भाजपा के साथ कोई गठबंधन विश्वासघात होगा।’

लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद से मुफ्ती की लगातार चुप्पी भाजपा के साथ तालमेल को लेकर उनकी पार्टी के भीतर मतभेद की तरफ इशारा कर रही है। नेशनल कांफ्रेंस में भी भाजपा के साथ किसी तरह के गठबंधन को लेकर विरोध है। कम से कम एक प्रमुख विधायक आगा सैयद रुहुल्ला की बात से तो ऐसा ही लगता है। प्रमुख शिया नेता रू हुल्ला ने कहा, ‘हम भाजपा के साथ गठबंधन के हक में नहीं हैं। मैंने इस बारे में पार्टी नेतृत्व को अपनी राय से वाकिफ करा दिया है।’ उन्होंने हालांकि कहा कि इस बारे में उन्होंने उमर अब्दुल्ला को बताया भर है और किसी को कोई पत्र नहीं लिखा है, जैसा मीडिया की ओर से कहा जा रहा है।

बताया जाता है कि भाजपा पहले विकल्प के रूप में पीडीपी के साथ जाने को लेकर अनिच्छुक है क्योंकि उसे सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (एएफएसपीए), अनुच्छेद 370 और अलगाववादियों से निबटने जैसे बुनियादी मुद्दों पर मुफ्ती के रुख से आपत्ति है। इस परिदृश्य को देखते हुए राज्य में नई सरकार की रूपरेखा को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। विशेषज्ञों ने अनुमान व्यक्त किया है स्थिति साफ होने में कई दिन लग सकते हैं।

उमर ने कुछ समय के लिए राज्यपाल शासन लगाए जाने को लेकर कुछ वर्गों की आशंकाओं पर कहा है कि इस प्रकार कदम का मतलब राज्य में बड़ी संख्या में लोगों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर जो भरोसा दिखाया है, उसको नकारना होगा। नेकां के एक नेता ने कहा कि पार्टी की भाजपा के साथ गठजोड़ करने की वस्तुत: कोई संभावना नहीं है क्योंकि भाजपा अपना मुख्यमंत्री चाहती है। ऐसी स्थिति में मुसलिम बहुल राज्य में सरकार का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति पहली बार गैर मुसलिम होगा।

इस नेता ने कहा, ‘भाजपा के लिए बढ़चढ़ कर वोट करने वाले जम्मू क्षेत्र और पीडीपी, नेकां व कांगे्रस के लिए वोट करने वाले कश्मीर घाटी क्षेत्र के बीच अंतर को दूर करने के विकल्पों को तलाशना होगा। इसी के चलते हमारे व भाजपा के बीच संपर्क हुआ लेकिन नेकां अपने बुनियादी सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगी।’

पीडीपी के नेताओं का एक वर्ग जिनमें कुछ नवनिर्वाचित विधायक भी शामिल हैं, ने भाजपा के साथ गठबंधन का यह कहते हुए विरोध किया है कि यह दीर्घकालिक तौर पर पार्टी के हितों के लिए घातक होगा।

पीडीपी के एक नेता ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘हमने सुशासन व विकास के साथ जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा सुरक्षित करने के आधार पर चुनाव लड़ा था। यहां हम भाजपा के साथ गठबंधन पर विचार कर रहे हैं। वह एक ऐसी पार्टी है जो हमारे मूल रुख से बिल्कुल विपरीत है।’ उन्होंने कहा कि पार्टी को अभी ही श्रीनगर जिले में स्वीकार्यता मिली है और भाजपा के साथ गठजोड़ करने से उसके वास्ते हमेशा के लिए दरवाजे बंद हो जाएंगे।

बहरहाल, पीडीपी के बारामुला से लोकसभा सदस्य मुजफ्फर हुसैन बेग ने अपनी पार्टी और भाजपा के साथ गठबंधन का समर्थन किया है। बेग ने कहा, ‘भाजपा के 25 सदस्य हैं और वह जम्मू क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है और हम कश्मीर घाटी का प्रतिनिधित्व करते हैं। (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी व मुफ्ती (मोहम्मद सईद) दोनों दलों के सबसे बड़े नेता हैं और उन्हें एक दूसरे से बातचीत करनी चाहिए।’

बहरहाल, उन्होंने स्पष्ट कहा कि सईद को छह साल के पूरे कार्यकाल के लिए प्रस्तावित गठबंधन का नेतृत्व करना चाहिए। यह स्थिति संभवत: भाजपा को स्वीकार्य नहीं हो और उससे शायद वह नेशनल कांफ्रेंस के प्रति आकर्षित हो। नेशनल कांफ्रेंस की दूसरी पीढ़ी के एक नेता ने कहा कि यदि भाजपा के साथ गठबंधन हो जाता है तो पार्टी कार्यकर्ताओं में विद्रोह होने की आशंका है कम से कम श्रीनगर जिले में।

नेकां नेता ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘आदर्श रूप से प्रत्येक राजनीतिक नेता चाहता है कि वह सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ रहे। लेकिन यदि नेकां ने भाजपा के साथ गठजोड़ का निर्णय किया तो मुझ जैसे लोगों को राज्य की इस सबसे पुरानी पार्टी के साथ अपने जुड़ाव के बारे में सोचना पड़ेगा।’

उन्होंने कहा कि नेकां-भाजपा गठबंधन के बारे में बात करना अभी जल्दबाजी होगा क्योंकि पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष ने राष्ट्रीय दल के नेताओं के साथ बैठक से इनकार किया है। नेका नेता ने कहा, ‘नेकां नेतृत्व की आज एक बैठक होने की संभावना है जहां हमें पता चलेगा कि हमारी पार्टी किस रास्ते पर आगे बढ़ेगी।’ राजनीतिक परिदृश्य पर उभरने वाली स्थिति इस बात का संकेत है कि राज्य में सरकार गठन एक लंबी प्रक्रिया होगी।