सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्‍ठतम जजों द्वारा प्रेस कांफ्रेंस करने पर शीर्ष अदालत के एक जूनियर जज ने तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। शीर्ष अदालत में सभी जज सोमवार (15 जनवरी) सुबह को चाय पर जुटे थे। सुबह की यह बैठक आमतौर पर 10 मिनट तक चलती है जहां जज बातचीत करते हैं। लेकिन, सोमवार को यह बैठक ज्‍यादा समय तक चली थी। ऐतिहासिक घटना के बाद पहली बार सभी जज जुटे थे। नियमित बैठक के बाद अटॉर्नी जनरल केके. वेणुगोपाल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष मनन मिश्रा ने मतभेद खत्‍म होने का दावा भी किया था। हालांकि, सूत्रों का कहना है क‍ि इस दौरान एक जूनियर जज ने चारों वरिष्‍ठ जजों की सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्‍ठा को ठेस पहुंचाने के लिए कड़ी आलोचना की। उन्‍होंने प्रेस कांफ्रेंस करने वाले जजों पर नेताओं को न्‍यायपालिका के मामले में हस्‍तक्षेप करने का मौका देने का भी आरोप लगाया। जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन बी लोकुर ने मीडिया के समक्ष सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा के प्रति असंतुष्टि जाहिर की थी।

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जूनियर जज का कहना था क‍ि चारों जज कम से कम सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की एक बैठक बुला सकते थे, ताकि समस्‍या का सर्वमान्‍य हल निकाला जा सके। इस जज ने सवाल उठाया, ‘सीजेआई द्वारा बेंच गठित कर मामले आवंटित करने के मामले में अन्‍य जजों को सूचना दिए बगैर आप सीधे मीडिया में क्‍यों चले गए थे? प्रेस में जाकर क्‍या आप दुनिया को यह बताना चाहते थे क‍ि सिर्फ वरिष्‍ठ जज ही मुकदमों से निपटने में सक्षम हैं, जूनियर जज नहीं। आपने इस संस्‍थान और इसके सम्‍मान की हत्‍या कर दी। आपने प्रत्‍येक जज की छवि को धूमिल किया है।’ सूत्रों का कहना है क‍ि इस जूनियर जज ने सीबीआई जज बीएच. लोया की संदिग्‍ध अवस्‍था में मौत का मामला भी उठाया था।

बताया जाता है क‍ि विरोध पर प्रेस कांफ्रेंस में शामिल रहे एक जज ने सफाई भी दी। उन्‍होंने कहा क‍ि प्रेस कांफ्रेंस का उद्देश्‍य जस्टिस लोया की मौत से जुड़ी याचिका को एक खास जज को सौंपने के फैसले का विरोध करना नहीं था। इसका ध्‍येय आमतौर पर मामलों को खास बेंच को सौंपने को लेकर था। इस जूनियर जज ने उनसे पूछा क‍ि क्‍या उन्‍होंने इस मसले पर अन्‍य जजों से संपर्क साधने की कोशिश की थी? आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट के जज सुबह साढ़े दस बजे अपने-अपने काम में जुट जाते हैं, लेकिन सोमवार (15 जनवरी) को दस मिनट बाद कामकाज शुरू हुआ था।