केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आईसीआईसीआई बैंक मामले में सीबीआई की कार्रवाई पर तंज कसा है और इसे ‘इन्वेस्टिगेटिव एडवेंचरिज्म’ (जांच संबंधी दुस्साहस) करार दिया। अमेरिका में इलाज करा रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को लिखे अपने ब्लॉग के जरिए कहा, “हजारों किलोमीटर दूर बैठा जब मैं आईसीआईसीआई मामले में संभावित लक्ष्यों की सूची पढ़ता हूं तो एक ही बात दिमाग में आती है कि लक्ष्य पर ध्यान देने के बजाय दूसरा रास्ता क्यों चुना जा रहा है? अगर हम बैकिंग सेक्टर से हर किसी को बिना साक्ष्य के जांच में शामिल करना शुरू करेंगे तो हमें क्या हासिल होगा। असल में इससे नुकसान हो रहा है।” जेटली ने केंद्रीय जांच एजेंसी से सीधा मुखातिब होते हुए लिखा, “मेरा जांच करने वालों को सुझाव है कि वे महाभारत के अर्जुन की सलाह पर गौर फरमाएं। सिर्फ मछली की आंख पर ध्यान टिकाएं।”
अरुण जेटली की टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जिसके एक दिन पहले ही जांच एजेंसी ने आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेट की चीफ एग्जक्यूटिव चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर वेणुगोपाल धूत के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने और फर्जीवाड़ा करने का मामला दर्ज किया। इसके अलावा उन अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की सिफारिश की है जो बैंक द्वारा लोन देने वाली कमेटी का हिस्सा थे। इनमें वर्तमान सीईओ (आईसीआईसीआई बैंक) संदीप बख्शी, पूर्व आईसीआईसीआई बैंक के एग्जक्यूटिव डायरेक्टर के. रामकुमार, गोल्डमैन सैक्स इंडिया के चेयरमैन संजॉय चटर्जी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशल लाइफ के एमडी और सीईओ एनएस कन्नन, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक सीईओ ज़़रीन दारूवाला, टाटा कैपिटल के मुखिया राजीव सभरवाल, न्यू डिवलपमेंट बैंक के प्रेजिडेंट केवी कामथ और टाटा कैपिटल के वरिष्ठ सलाहकार ओमी खुसरोखान शामिल हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा है, “जांच करने वाले लोगों पर महान घोषित करने की जिद और दुस्साहस हावी हो जाता है और पेशेवर जांच का गुण पीछे छूट जाता है। यही वजह है कि मामलों को सुलझाने में हम पीछे रह जाते हैं।” उन्होंने कहा कि पेशेवर तरीके से जांच करने वाला सूबतों के आधार पर वाजिब आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करता है। इस उद्देश्य गुनहगारों को सजा देना और निर्दोषों की रक्षा करना होता है। गौरतलब है कि जेटली फरवरी के आखिरी हफ्ते में स्वदेश लौटेंगे। क्योंकि, एक फरवरी को देश का आम बजट पेश होने वाला है।

