माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने राज्यों तथा निजी क्षेत्र की लॉटरी के लिये 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का बुधवार को निर्णय लिया। जीएसटी परिषद ने पहली बार मतदान के जरिये किसी मुद्दे पर निर्णय लिया। राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने जीएसटी परिषद की 38वीं बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि लॉटरी की नयी दर मार्च 2020 से प्रभावी होगी। जीएसटी परिषद की इस 38वीं बैठक में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी मुद्दे पर बहुमत से निर्णय लेने के लिये मतदान का सहारा लेना पड़ा। इससे पहले जीएसटी परिषद की 37 बैठकों में विभिन्न मुद्दों पर एकमत से निर्णय लिये गये।

अब तक, जीएसटी परिषद में सभी निर्णय सर्वसम्मति के माध्यम से लिए गए थे। मौखिक विरोध करते हुए एकसमान जीएसटी के मुद्दे को लेकर मतदान का प्रस्ताव केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने दिया। बैठक के बाद, परिषद का नेतृत्व करने वाली केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि परंपरा को जीवित रखने के लिए हरसंभव प्रयास किए गए, लेकिन अंततः परिषद को याद दिलाया गया कि परंपरा नियम पुस्तिका का हिस्सा नहीं थी। यह परिषद या मेरे द्वारा नहीं बल्कि किसी सदस्य के अनुरोध पर लगाया गया था। यह किसी के द्वारा थोपा नहीं गया था। 21 राज्यों ने 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का समर्थन किया, जबकि सात राज्यों ने इसका विरोध किया। लॉटरी उद्योग लंबे समय से 12 प्रतिशत की दर से एकसमान कर लगाने तथा पुरस्कार की राशि को करमुक्त करने की मांग कर रहा था।

मीटिंग में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि जीएसटी परिषद के कुल 21 सदस्यों ने अगले साल 1 मार्च को लॉटरी प्रभावी के लिए एक समान दर के पक्ष में मतदान किया, 7 इसके खिलाफ (केरल, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पुदुचेरी सहित), जबकि 3 सदस्यों को निरस्त कर दिया गया। राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि लॉटरी की नयी दर मार्च 2020 से प्रभावी होगी।

पांडेय ने बताया कि बैठक में औद्योगिक पार्क स्थापित करने में सुविधा के लिये औद्योगिक भूखंडों के दीर्घकालिक पट्टों पर ऐसे निकायों को जीएसटी से छूट देने का निर्णय भी किया गया, जिनमें केंद्र या राज्य सरकार की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अभी तक सिर्फ उन निकायों को छूट मिल रही थी, जिनमें केंद्र या राज्य सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय तथा राज्य स्तर पर शिकायत निपटान समितियों का गठन करने का भी निर्णय लिया गया, जिनमें केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी दोनों के अधिकारी शामिल होंगे। इनके अलावा व्यापार एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल रहेंगे।