देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान आईआईटी ने एकेडमिक में कमजोर छात्रों को तीन साल के बाद संस्थान से बाहर करने का प्लान बना रहा है। ऐसे कमजोर छात्रों को तीन साल बाद बीएसएसी इंजीनियरिंग की डिग्री देने पर विचार हो रहा है। इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को आईआईटी काउंसिल की बैठक के एजेंडे में यह प्रस्ताव रखा जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्री का अध्यक्षता वाली यह परिषद् देश के सभी 23 आईआईटी के संबंध में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च समिति है। मौजूदा समय में आईआईटी के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में नामांकन कराने वाले छात्रों को चार साल या आठ सेमेस्टर पूरा करने के बाद बी.टेक की डिग्री दी जाती है।
वहीं इस दौरान कमजोर ग्रेड वाले स्टूडेंट्स बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से संसद में रखे गए आंकड़ों के अनुसार विभिन्न आईआईटी में बीटेक और पोस्ट ग्रेजुएट के दौरान पिछले दो सालों में 2461 छात्रों ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। इनमें एकेडमिक परफॉर्मेंस में कमजोर प्रदर्शन के आधार पर बाहर किए गए छात्र भी शामिल हैं।
उदाहरण के लिए आईआईटी कानपुर ने खराब ग्रेड के आधार पर इस साल 18 स्टूडेंट्स को निकाल दिया था। इनमें से आधे बीटेक के छात्र थे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रस्ताव है ऐसे ही कमजोर छात्रों के लिए है। इसमें छात्रों को 6 सेमेस्टर का विकल्प उपलब्ध कराया जाए।
काउंसिल के एजेंडा के अनुसार आईआईटी से कमजोर छात्रों को इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के बारे में कहा गया है। इसमें कमजोर छात्रों को सेकेंड सेमेस्टर के बाद बीएससी (इंजीनियरिंग) चुनने और तीन साल बाद संस्थान छोड़ने का विकल्प हो। सूत्रों का कहना है कि यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो आईआईटी को मौजूदा सत्र से ही इसे लागू करना होगा।
एक अनुमान के अनुसार जेईई (मेन) के लिए हर चक्र में करीब 9 लाख छात्र शामिल होते है। मेन की परीक्षा साल में दो बार होती है। इनमें से 13500 को आईआईटी में एडमिशन मिल पाता है।