गोवा के एक नाइट क्लब में लगी आग की वजह से 25 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद से ही क्लब मैनेजमेंट और प्रशासन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अब तो कई ऐसे खुलासे भी हो गए हैं, जिनसे यह साफ हो जाता है कि नियमों की अनदेखी हो रही थी और कई स्तर पर लापरवाही बरती गई थी।
खुलासा नंबर 1
जानकारी के लिए बता दें कि शनिवार रात नॉर्थ गोवा के अर्पोरा गांव के एक नाइट क्लब में भीषण आग लग गई थी। इसी वजह से चार पर्यटकों और क्लब के 21 कर्मचारियों की दर्दनाक मौत हो गई। रविवार को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें क्लब के चेयरमेन सौरव लूथरा और इवेंट के दूसरे आयोजकों पर शिकायत दर्ज की गई। एफआईआर में बताया गया कि रेस्टोरेंट कई जरूरी लाइसेंस और परमिशन के बिना चल रहा था।
खुलासा नंबर 2
अब अर्पोरा गांव के सरपंच ने भी इस क्लब को लेकर बड़े खुलासे किए हैं। रोशन रेडकर ने बताया कि क्लब बिना कंस्ट्रक्शन लाइसेंस लिए बनाया गया था। सरपंच ने यह भी बताया कि क्लब के चेयरमेन लूथरा और जमीन के मालिक के बीच किसी बात को लेकर विवाद चल रहा था। इसी वजह से इस संरचना को गिराने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन एक आदेश के कारण उस कार्रवाई पर स्टे लग गया। पुलिस ने भी सरपंच रेडकर से इसी कार्रवाई को लेकर सवाल-जवाब किए थे और बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
खुलासा नंबर 3
इससे पहले, दिसंबर 2023 में प्रदीप अमोंकर और सुनील दिवकर नाम के दो व्यक्तियों ने भी पंचायत में शिकायत दर्ज करवाई थी। उसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि क्लब वाली जमीन इको-सेंसिटिव ज़ोन में स्थित है और यह पूरी तरह अवैध निर्माण है। शिकायत में चेतावनी दी गई थी कि क्लब को एक अस्थिर संरचना में चलाया जा रहा है, जो पानी में डूबी हुई है। ऐसे में, अगर कोई हादसा होता तो बड़ी तबाही संभव थी और पूरी इमारत भी ढह सकती थी।
अप्रैल 2024 में इस मामले की जांच की गई और पंचायत ने यह निष्कर्ष निकाला कि जिस जमीन पर क्लब बना है वह पूरी तरह अवैध है और उसे ध्वस्त किया जाना चाहिए। उस समय पंचायत ने प्रॉपर्टी के ओनर सुरेंद्र कुमार खोसला को भी इमारत को गिराने के निर्देश दिए थे। लेकिन बाद में जमीन के मालिक ने डिप्टी डायरेक्टर ऑफ पंचायत के सामने अपील की, जिसके बाद डिमोलिशन नोटिस पर रोक लगा दी गई।
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