कर्नाटक में डी.के. शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच कई सालों से सियासी तकरार चल रही है। मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर पूरा राजनीतिक खेल गर्म है। इसी बीच बीजेपी ने दावा किया है कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार गिर सकती है। भाजपा नेता सुनील कुमार ने अविश्वास प्रस्ताव तक की बात कही है। ऐसे में समझना ज़रूरी है कि कर्नाटक का पूरा नंबर गेम क्या कहता है।

कर्नाटक विधानसभा का गणित

कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें होती हैं, यानी किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 113 सीटें चाहिए। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की आंधी चली और पार्टी ने 135 सीटें अपने नाम कीं। बीजेपी तमाम कोशिशों के बावजूद केवल 66 सीटें जीत पाई। वहीं जनता दल (सेक्युलर) के खाते में 19 सीटें गईं।

अब यदि बीजेपी और जेडीएस की सीटें जोड़ दी जाएं तो कुल मिलाकर 85 सीटें बनती हैं। इसका मतलब है कि यह गठबंधन बहुमत से 28 सीटें दूर है। अगर किसी तरह 28 सीटें जुड़ती हैं, तो बीजेपी–जेडीएस गठबंधन 113 के बहुमत तक पहुंच सकता है।

क्या डी.के. शिवकुमार बगावत कर सकते हैं?

पूरा समीकरण तभी बदल सकता है अगर डी.के. शिवकुमार कांग्रेस से नाराज़ होकर बगावत करें। अगर वह करीब 30 विधायकों को अपने साथ कर लेते हैं, तो कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन की जमीन तैयार हो सकती है। यह संभावना भी जताई जा रही है कि शिवकुमार, महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे की तरह, बगावत के बाद मुख्यमंत्री पद तक पहुंच सकते हैं।

याद दिला दें महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बड़ा विद्रोह कर कई विधायकों के साथ एनडीए का साथ दिया था और फिर मुख्यमंत्री बने थे। कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही समीकरण बन सकता है।

शिवकुमार के समर्थन में कितने विधायक?

डी.के. शिवकुमार कितने विधायकों पर प्रभाव रखते हैं, इस पर कोई आधिकारिक या स्पष्ट आँकड़ा उपलब्ध नहीं है। हालाँकि खुद शिवकुमार दावा करते रहे हैं कि उनके पास करीब 138 विधायकों का समर्थन है। यह दावा कितना सच है, यह आने वाले दिनों की राजनीति तय करेगी।

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