योगगुरु रामदेव की पतंजलि द्वारा बनाई गई कोरोनिल को ICMR ने कोरोना की दवाई के रूप में मान्यता नहीं दी है। बावजूद इसके रामदेव कोरोनिल का धड़ल्ले से प्रचार कर रहे हैं और इसे कोरोना के खिलाफ रामबाण बता रहे हैं। रामदेव ने एक वीडियो जारी करके कहा, कोरोना के कारण लोगों को तरह-तरह की अन्य बीमारियां हो रही हैं। इससे बचाव और कोरोना के उपचार के लिए यह दवाई कारगर है।

रामदेव ने इसकी सप्लाई के लिए तरीका निकाल लिया है। इसके अलावा ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर डिस्काउंट देने की भी बात कर रहे हैं। रामदेव कोरोनिल की किट दिखाते हुए बताते हैं कि आपदा की घड़ी में वह लोगों की सेवा कर रहे हैं। रामदेव ने यह भी कहा कि अभी 50 हजार से ज्यादा किट हैं लेकिन दो से तीन दिन में यह खत्म हो जाएगी। टीवी ऐडवर्टीजमेंट की तर्ज पर वह छूट की सीमा भी बताते हैं। बार-बार ऑफर की बात करते हुए रामदेव कहते हैं कि छूट की लूट मची हुई है।

आपको बता दें कि कोरोनिल की लॉन्चिंग के समय रामदेव ने दावा किया था कि इसे WHO ने भी प्रमाणित कर दिया है। बाद में WHO ने कहा कि ऐसी किसी भी दवा को प्रमाणित नहीं किया गया है जो कि पारंपरिक पद्धति पर आधारित है। WHO के बयान पर पतंजलि के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण ने सफाई दी और कहा कि इस संगठन का काम दवाइयों को मंजूरी देना है ही नहीं। ICMR ने भी कोरोना के इलाज के लिए जारी की गई गाइडलाइन और सूची में कोरोनिल को शामिल नहीं किया।

डीआरडीओ की कोरोना दवा का पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण से कनेक्शन

केंद्र सरकार ने भी कोरोनिल को कोरोना की दवाई बताकर बेचने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद इसे इम्युनिटी बूस्टर कहकर बेचा जाने लगा। हालांकि रामदेव इसे कोरोना का उपचार बताने से नहीं चूकते हैं। यहां तक कि केंद्रीय मंत्री निशंक ने कोरोनिल को कोरोना मरीजों को बीच बंटवाया और पतंजलि को स्पेशल ऑर्डर दिया।

ऑक्सीजन की किल्लता का बनाया था मजाक
इन दिनों रामदेव कोरोना से बचने के लिए योग की टिप्स देते भी नजर आते हैं। कुछ दिन पहले वह योग सिखाते-सिखाते बहक गए और ऑक्सीजन की किल्लत का मजाक बनाने लगे। इसके बाद वह सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हुए। रामदेव कह रहे थे कि आपकी नाक ही ऑक्सीजन सिलेंडर है। वह कह रहे थे, कहां बाहर सिलेंडर ढूंढ रहे हो। अपने भीतर दो सिलेंडर लगा रखे हैं। भार लो ऑक्सीजन अगर कमी पड़ जाए तो बताना।

दरअसल वह ऐसा वक्त था जब लोग ऑक्सीजन के बिना मर रहे थे और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार थे। देश में ऑक्सीजन की कमी थी और जनता बहुत परेशान थी। ऐसे में इस तरह का बयान लोगों को नागवार गुजरा।