द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने अपने सदस्यों को 9 दिसंबर को एक एडवायजरी जारीकर केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले की आलोचना नहीं करने की चेतावनी दी थी। संस्था ने अपनी वेबसाइट पर एडवायजरी में जारीकर निर्देश दिए थे कि, ”सभी सदस्यों को सलाह दी जाती है कि नोटबंदी को लेकर अपने क्लाइंट को राय देने और किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर विचार व्यक्त करने को लेकर सावधान रहें।” इन निर्देशों की कड़ी आलोचना होने के बाद आईसीएआई ने 10 दिसंबर को वापिस ले लिया है। इस एडवायजरी की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना की गई थी जिसके बाद इसे हटा लिया गया। वेबसाइट पर आईसीएआई के प्रेसिडेंट देवराज रेड्डी की घोषणा में लिखा था “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नोटबंदी का फैसला आर्थिक विकास को गति देगा”।
इसके अलावा एडवायजरी में नोटबंदी पर नेगिटिव कमेंट्स देने पर सदस्यों को चेताया गया था। इसके अलावा आईसीएआई ने बताया कि गलती कर रहे सदस्यों को समझाने के लिए आईसीएआई काम कर रही है। तात्कालिक कदम उठाए गए हैं और संबंधित सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू की गई है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का एलान किया था। उस समय सरकार ने कहा था कि इस कदम से कालेधन, जाली नोट, आतंकवाद और नक्सलवाद से लड़ने में मदद मिलेगी। वहीं अब कैशलैस ट्रांजेक्शन को बढा़वा देने की बात भी की जा रही है।
सोशल मीडिया पर हुई एडवायजरी की आलोचना (Source: twitter)
ICAI has always been an independent body and so are it's members, but such instructions means nothing less than Demeaning our Profession! pic.twitter.com/VdPO0tPboM
— Sanjay Parmar (@CA_SanjayParmar) December 10, 2016
ICAI issues gag order for Charterd Accountants not to criticise demonetisation.They want finance experts shud not expose Demonetization? pic.twitter.com/4BqsGn9Dyq
— ASHUTOSH MISHRA (@JournoAshutosh) December 10, 2016
वहीं बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की लाइनें कम नहीं हो रही है। वित्त मंत्रालय के अनुसार देश में 85 प्रतिशत एटीएम को नए नोटों के अनुसार बदल दिया गया है लेकिन धरातल पर ऐसा दिख नहीं रहा। सबसे ज्यादा दिक्कत 500 रुपये के नोटों की कमी के चलते हो रही है। हालांकि आरबीआई कहना है कि पर्याप्त कैश मौजूद है।
