ओडिशा में सुंदरगढ़ की जिला कलेक्टर रश्मिता पांडा पर छह महीने के भीतर अपने सरकारी आवास पर 70 लाख रुपए खर्च करने का आरोप लगने के बाद प्रदेश सरकार ने उनका तबादला कर दिया। हालांकि ऐसे ही एक अन्य मामले में बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को प्रदेश सरकार ने क्लीन चिट दे दी। बिहार सरकार ने एक बयान ने कहा, ‘राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) लीडर तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम के कार्यकाल के दौरान अपने 5 देशरत्न मार्ग स्थित बंगले के नवीनीकरण के लिए धन की फिजूलखर्ची नहीं की।
वहीं रश्मिता पांडा को तबादले के बाद अब उन्हें ओडिशा कौशल विकास प्राधिकरण के रोजगार-सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। एक आरटीआई द्वारा दाखिल जानकारी के मुताबिक 2010 बैच की आईएएस अधिकारी ने 68.57 लाख रुपए खर्च करके अपने सरकारी आवास का नवीनीकरण करवाया था। सरकारी आवास के नवीनीकरण के लिए कोई टेंडर भी नहीं निकाला गया और टेंडर प्रक्रिया से बचने के लिए खर्च की प्रत्येक परियोजना लागत को जानबूझकर 5 लाख रुपए से कम रखा गया था। अनुमानित खर्च के विवरण से पता चला है कि मच्छरदानी पर 4.04 लाख, पेंटिंग पर 4.45 लाख, बाहरी और आंतरिक विद्युतीकरण पर 10 लाख और नालों व एक पोर्टिको के निर्माण पर 4.44 लाख रुपए खर्च किए गए।
वहीं तेजस्वी यादव के मामले में भवन निर्माण विभाग के सचिव चंचल कुमार ने बताया कि अलग-अलग वक्त पर अलग-अलग चीजों के लिए धन का इस्तेमाल किया गया था और इसलिए यह अनुमानित बजट से अधिक नहीं था। चंचल कुमार ने आगे कहा, ‘तेजस्वी यादव द्वारा सरकारी बंगले पर अधिक खर्च के संबंध में कोई जांच शुरू नहीं की गई है। बंगले पर करोड़ों खर्च किए गए हैं लेकिन अलग-अलग समय में अलग-अलग प्रमुख वजहों के तहत। अगर यह रकम एक साथ खर्च की जाती तो इसके लिए कैबिनेट या वित्त मंत्रालय की मंजूरी की जरुरत होती। कोई अतिरिक्त पैसा खर्च नहीं किया गया है।
