जनता के बढ़ते दबाव के आगे झुकते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आइएएस अधिकारी डीके रवि की रहस्यमय मौत के मामले में सोमवार को सीबीआइ जांच कराने का फैसला किया। मुख्यमंत्री ने इस बारे में यह कहते हुए विधानसभा में घोषणा की कि वह अधिकारी डीके रवि के माता पिता और जनता की भावनाओं का सम्मान कर मामला सीबीआइ को भेज रहे हैं।

सिद्धारमैया ने कहा, ‘मैं रवि के माता-पिता की भावनाओं को समझता हूं, हम जनता की भावनाओं का सम्मान करते हैं।’ उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि सच सामने आए और दोषियों को दंड मिले ।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार कभी भी मामले पर लीपापोती नहीं करना चाहती थी और न ही उसका किसी को बचाने का इरादा था। उन्होंने कहा, ‘हम जनशक्ति में विश्वास करते हैं । हम जनता की भावनाओं का सम्मान करने में यकीन करते हैं।’ सिद्धारमैया इस मामले में जन आक्रोश का सामना कर रहे थे और सीबीआइ जांच की मांग बढ़ती जा रही थी।

बालू और भू माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने वाले और कर चोरी के आरोपियों पर शिकंजा कसने वाले 35 साल रवि के परिवार ने मामले में गड़बड़ी का संदेह जताया था और सीबआइ जांच की मांग की थी। विपक्षी भाजपा और जनता दल (एस) ने सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ आक्रामक अभियान छेड़ दिया था और साथ में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन भी हो रहे थे। पुलिस ने मामले मेें प्रथम दृष्टया आत्महत्या का संदेह व्यक्त किया था।

शुरू में सीबीआइ जांच की मांग खारिज करने वाली सरकार ने कहा था कि सीआइडी जांच कराई जाएगी और उसने सीआइडी जांच की अंतरिम रिपोर्ट सदन में रखने की योजना बनाई थी। लेकिन इसकी योजना लागू नहीं हो पाई क्योंकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने कल शाम रवि की ‘अप्राकृतिक मौत’ के मामले में सीआइडी की अंतरिम रिपोर्ट के सरकार द्वारा किसी भी प्रकाशन पर रोक लगा दी।

विधानसभा में अपने जवाब में सिद्धरमैया ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह एक ईमानदार अधिकारी की मौत पर राजनीति कर रहा है । इस टिप्पणी का भाजपा और जनता दल एस ने विरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मौत पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। हम इसमें विश्वास नहीं करते। विपक्ष को भी यह नहीं करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कभी इस बात पर नहीं अड़ी थी कि मामला सीबीआइ को नहीं सौंपा जाना चाहिए।

सिद्धारमैया ने कहा, ‘हम अपनी पुलिस प्रणाली में यकीन करते हैं। मैंने सीबीआइ के बारे में कभी कुछ अलग से नहीं कहा। यह विपक्ष था जो सीबीआइ को ‘चोर बचाओ इंस्टीट्यूशन…कांग्रेस बचाओ इंस्टीट्यूशन’ कहता था…लेकिन मैंने कभी ऐसी टिप्पणी नहीं की। सीबीआइ एक स्वतंत्र एजंसी है और उसी तरह हमारी सीआइडी है।’

सिद्धरमैया ने कहा कि वह सीआइडी की अंतरिम रिपोर्ट रखना चाहते थे, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश की वजह से ऐसा नहीं कर सके। यह उल्लेख करते हुए कि सरकार ने कभी किसी अधिकारी पर दबाव नहीं डाला और वह उनके लिए काम का रचनात्मक माहौल उपलब्ध कराने में विश्वास करती है, सिद्धरमैया ने कहा, ‘हम अपनी प्रणाली, न्यायपालिका और लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, हम न्यायपालिका का कभी भी निरादर नहीं करेंगे। हम कानून के शासन में यकीन करते हैं।’

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कभी कोई ऐसा मामला नहीं रहा जब घटना के तत्काल बाद जांच सीबीआइ को सौंप दी गई हो। देश में संघीय ढांचे के मद्देनजर मामले को केंद्र स्वत: सीबीआइ को नहीं भेज सकता और ऐसा राज्य के आग्रह पर कर सकता है। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि उसने राज्य में अपने पांच साल के कार्यकाल में एक भी मामला केंद्रीय जांच एजंसी को नहीं भेजा था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सीआइडी भी सक्षम है और दूसरी एजंसी को मामला सौंपे जाने से उसका मनोबल प्रभावित होगा, इसीलिए वह कह रहे थे कि पहले सीआइडी को अपनी जांच करने देनी चाहिए।

उन्होंने रवि के माता पिता को भी आश्वासन दिया था कि पोस्टमॉर्टम और सीआइडी की रिपोर्ट मिलने के बाद वह मामला सीबीआई को सौंपे जाने पर फैसला लेंगे।

सिद्धरमैया ने कहा कि रवि एक ईमानदार और सक्षम अधिकारी थे, इसीलिए उन्होंने उनके ससुर के आग्रह पर उन्हें कोलार से अतिरिक्त आयुक्त व्यावसायिक कर (प्रवर्तन) के रूप में बेंगलुरु स्थानांतरित किया था। रवि कोलार जिले के अत्यंत लोकप्रिय उपायुक्त बन गए थे, जहां उनकी छापेमारी से कई राजनीतिक हस्तियों और बालू माफिया में हड़कंप मच गया था।

जनसमर्थक छवि के लिए जाने जाने वाले रवि का अक्तूबर में जब कोलार से तबादला किया गया तो लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए थे।