आने वाले वक्त में जमीन खरीदने और बेचने वालों को भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की चिट्ठी आ सकती है। उस चिट्ठी के जरिए पूछा जा सकता है कि जमीन खरीदने के लिए पैसा कहां से आया। वहीं जो जमीन बेचेगा उससे पूछा जा सकता है कि उसने जमीन कब खरीदी थी। विभाग यह भी पूछ सकता है कि मकान कितने में खरीदा-बेचा गया। सरकार द्वारा यह कदम बेनामी प्रोपर्टी धारकों पर निशाना साधने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है। पूछताछ के लिए लोगों को विभाग कभी भी, कहीं भी बुला जा सकता है। आय खुलासा योजना (IDS) 2016, नोटबंदी के बाद सरकार ने काला धन धारकों को एक और मौका दिया था ताकि वे लोग पेनल्टी देकर अपने आपको बचा सकें। इस सबके बाद अब सरकार बेनामी संपत्ति रखने वाले लोगों को निशाने पर लेना चाहती हैं। 13 नवंबर को गोवा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भी था कि काला धन और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आने वाले दिनों में उनके निशाने पर बेनामी संपत्ति वाले होंगे।
बेनामी संपत्ति एक्ट में जो बदलाव किए गए हैं उसमें प्रोपर्टी के अंदर सिर्फ जमीन, फ्लेट और घर ही नहीं बल्कि सोना, स्टॉक, फंड और बैंक में जमा को भी गिना जाएगा। सरकार का मानना है कि रीयल एस्टेट के जरिए सबसे ज्यादा पैसा सफेद किया जा रहा है। जिसके लिए कई तरीके अपनाए जा रहे हैं। नॉलेज सिस्टम एट कोलियर्स इंटरनेशनल (इंडिया) के नेशनल डायरेक्टर अमित ओबरोय ने कहा, ‘कालाधन रखने वाले ज्यादातर लोग बहुत सारी जमीन एक साथ खरीद लेते हैं।’
वित्त मंत्रालय के उच्चाधिकारियों के अनुसार, सरकार द्वारा कराई गई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि सबसे अधिक ब्लैकमनी रियल एस्टे्टस में खपाया जाता है। यही कारण है कि सरकार ने बेनामी संपत्ति बिल लागू करने का फैसला किया। कई लोग टैक्स देने से बचने के लिए अपने करीबी रिश्तेदारों, नौकरों और ड्राइवरों के नाम से प्रॉपट्री खरीदते हैं। जो मकान बेच रहा है या मकान खरीद रहा है, उससे इनकम टैक्स विभाग सीधी बातचीत करेगा तो तो यह साफ हो जाएगा कि कौन मकान खरीद रहा है और कौन बेच रहा है।
