Supreme Court On Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट ने शासन, स्कूलों और अस्पताल जैसे संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों द्वारा काटे जाने के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने इस पर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों के मुताबिक, ऐसे कुत्तों को आश्रय स्थलों में भेजना जरूरी होगा। जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और वी. आचार्य की विशेष बेंच ने ये निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा कि इन परिसरों को सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाना जरूरी होगा।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इन निर्देशों को लेकर कई पक्षों ने असहमति जताई है। ‘पीपल फॉर एनिमल्स इंडिया’ नामक संस्था की प्रतिनिधि गौरी मुलैखी ने इस फैसले पर नाराज़गी जाहिर की है। उन्होंने कहा, “3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शैक्षणिक स्थानों में आ रहे कुत्तों के लिए एक अंतरिम निर्देश जारी किया जाएगा। लेकिन आज बेंच ने बिना किसी पक्ष को सुने सीधे आदेश जारी कर दिए। हम इससे स्तब्ध हैं।”
गौरी ने आगे कहा कि, “यह आदेश कुछ चुनिंदा संस्थानों से कुत्तों को हटाने को लेकर है। इन स्थानों में शैक्षणिक, चिकित्सा और सरकारी संस्थान शामिल हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दो हफ्तों के भीतर ऐसे परिसरों के चारों ओर दीवार या फेंसिंग बनाई जाए, ताकि आवारा जानवर अंदर न आ सकें। लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह व्यावहारिक रूप से संभव होगा।”
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उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “कई संस्थान जैसे आईआईटी, जेएनयू और एम्स अपने परिसरों में कुत्तों की देखभाल करते हैं। ये कुत्ते पूरी तरह वैक्सीनेटेड और सुरक्षित होते हैं। गौरी मुल्हेती ने आगे कहा कि, “कोर्ट ने बस स्टॉप और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थानों पर भी फेंसिंग की बात कही है, लेकिन यह प्रशासन के लिए किसी बुरे सपने जैसा कार्य होगा। कई शैक्षणिक स्थानों में जहां क्लासरूम तक नहीं बन पाए हैं, वहां दो हफ्तों में दीवार बनाना चुनौती होगा।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा, “बिना सभी पक्षों को सुने ऐसे निर्णय लेना समस्या को और बढ़ा देगा। यह केवल कागज़ों पर समाधान जैसा दिखेगा, लेकिन ज़मीनी स्तर पर देश के लिए बुरे सपने जैसा साबित होगा।
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