हैदराबाद में गैंगरेप आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर को जहां कुछ लोग जायज़ ठहरा रहे हैं, वहीं कुछ बुद्धिजीवियों ने इस पर सवाल भी उठाए हैं। आरोपियों को जहां एनकाउंटर में मारा गया, वो स्थान वारदात वाली जगह से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है।

पुलिस के मुताबिक, आरोपियों को सबूत जुटाने और वारदात के घटनाक्रम को समझने के लिए क्राइम सीन पर ले जाया गया था। यहां दो आरोपियों ने पुलिसवालों की पिस्तौल छीन ली और भागने की कोशिश की। इसके बाद, मुठभेड़ में उन्हें मार गिराया गया। चारों आरोपियों के शव 50 मीटर के दायरे के अंदर ही पड़े मिले।

इस एनकाउंटर की वजह से साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार सुर्खियों में हैं। उनके किए पहले के एनकाउंटरों पर भी चर्चा शुरू हो गई है। इनमें महिलाओं पर एसिड हमले के तीन आरोपियों के खात्मे से लेकर पूर्व नक्सली नेता का एनकाउंटर तक शामिल है। खास बात यह है कि इन सभी एनकाउंटरों में पुलिस ने एक ही तरह का स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) अपनाया। साथ ही इन सभी मामलों में यही दलील दी गई कि किस तरह आरोपियों ने हमला किया, जिसके बाद पुलिस को जवाबी कार्रवाई में फायरिंग करनी पड़ी। इन तीनों एनकाउंटर में पुलिस टीम की अगुआई करने वाले वीसी सज्जनार ही थे।

1996 बैच के आईपीएस सज्जनार दिसंबर 2008 में वारंगल के एसपी थे। उस वक्त मोटरसाइकिल सवार तीन युवकों ने दो महिलाओं पर एसिड फेंक दिया। दोनों महिलाएं इंजीनियरिंग स्टूडेंट थीं। दोनों टू वीलर पर सवार होकर घर जा रही थीं। इस वारदात को लेकर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। जनता सड़क पर उतरी और न्याय की मांग करने लगी। गिरफ्तारी के अगले ही दिन तीनों संदिग्धों की पुलिस की फायरिंग में मौत हो गई। घटना वारंगल से 30 किमी दूर ममूनूर के जंगलों में रात को हुई। पुलिस का कहना है कि वे तीनों को एसिड का स्टॉक और इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल जैसे सबूत बरामद करने के लिए जंगल ले गए थे।

सज्जनार ने मीडिया को बताया था कि इनमें से एक आरोपी ने अपना देसी पिस्तौल निकाल लिया और फायरिंग की कोशिश की। पुलिसवालों पर एसिड भी फेंका गया, जिसकी वजह से आत्मरक्षा में उन्हें भी गोली चलानी पड़ी। आरोपियों को हथकड़ियां तक नहीं पहनाई गई थीं। इस बात का भी कोई जवाब सामने नहीं आया कि आरोपियों में से एक के पास हथियार कैसे आया?

अब बात अगस्त 2016 की। सज्जनार एक एंटी नक्सल ऑपरेशन यूनिट की अगुआई कर रहे थे। इस यूनिट ने एक पूर्व नक्सली मोहम्मद नईमुद्दीन को हैदराबाद के बाहरी इलाके में मार गिराया। पुलिस के मुताबिक, वे नईमुद्दीन को गिरफ्तार करना चाहते थे, लेकिन उसने हमला करने और मौके से भागने की कोशिश की। पुलिस का कहना था कि नईमुद्दीन ने अपनी जीप के अंदर से उन पर AK-47 से गोलियां बरसाईं। साइबराबाद पुलिस कमिश्नर पद से तैनाती से पहले सज्जनार स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच में आईजी थे। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्हें कई शीर्ष नक्सलियों की गिरफ्तारी, सरेंडर और एनकाउंटर का श्रेय जाता है।

सज्जनार ने शुक्रवार को पत्रकारों से बताया कि वेटनरी डॉक्टर के रेप और मर्डर के आरोपियों को हैदराबाद के बाहरी इलाके में ले जाया गया। मकसद पीड़िता का मोबाइल फोन, कलाई घड़ी और पावर बैंक हासिल करना था। उनके मुताबिक, आरोपियों को हथकड़ी इसलिए नहीं पहनाई गई क्योंकि उन्हें डॉक्टर का वो सामान तलाशने के लिए कहा गया था, जिन्हें उन्होंने कथित तौर पर छिपा दिया था। कमिश्नर के मुताबिक, आरोपियों ने पुलिस टीम पर हमला किया और उनके हथियार छीन लिए, जिसकी वजह से उन्हें गोलियां चलानी पड़ी।