पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार सरताज अजीज के साथ दिल्ली में प्रस्तावित बैठक से पहले कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को आज नजरबंद करने के बाद अब पुलिस ने छोड़ दिया है। इन नेताओं में मीरवाइज उमर फारूक और अब्बास अंसारी शामिल हैं। हालांकि हुर्रियत के कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी की नजरबंदी जारी है।

इससे पहले आज अलगाववादी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। इन नेताओं में मीरवाइज उमर फारूक और अब्बास अंसारी शामिल थे। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हुर्रियत के कट्टरपंथी गुट के प्रवक्ता अयाज अकबर को एचएमटी इलाके में नजरबंद कर दिया गया और गिलानी के हैदरपोरा स्थित आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उन्होंने कहा कि अलगाववादी गुट की दूसरी पंक्ति के नेताओं को हिरासत में लेने के लिए छापेमारी जारी है।

पाकिस्तान के दिल्ली स्थित उच्चायोग ने 24 अगस्त को अजीज के साथ बैठक के लिए गिलानी को आमंत्रित किया था। अजीज भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ वार्ता करने के लिए तब राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद होंगे। नई दिल्ली में पाकिस्तानी अधिकारी के आगमन पर 23 अगस्त को उच्चायोग द्वारा दी जा रही दावत में नरमपंथी अलगाववादी नेताओं को भी बुलाया गया है।

पिछले साल अगस्त में इस्लामाबाद में बैठक से पहले पाकिस्तान के राजनयिक द्वारा अलगाववादी नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित किए जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की वार्ताएं रद्द कर दी थीं।

पुलिस ने कहा कि जेकेएलएफ के नेता यासीन मलिक को कोठीबाग पुलिस चौकी में हिरासत में लिया गया। आसिया अंदराबी के घर पर भी छापा मारा गया। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की आलोचना करते हुए नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य सरकारों ने इससे पहले कभी भी हुर्रियत के नेताओं को दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग जाने से रोकने के लिए हिरासत में नहीं लिया। उन्होंने दावा किया कि भारत-पाक वार्ताएं अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच हो रही है और दोनों देश उम्मीद कर रहे हैं कि सामने वाला देश पीछे हट जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने एक के बाद एक टवीट करके कहा, गोलीबारी, घुसपैठ, आतंकी हमले और अब हुर्रियत नेताओं की गिरफ्तारियां, स्पष्ट तौर पर कोई भी पक्ष वार्ता नहीं चाहता और फिर भी किसी भी पक्ष में इसे रद्द करने की हिम्मत नहीं है। उन्होंने लिखा मांग पर गिरफ्तार करने के लिए मुफ्ती सईद को शर्म आनी चाहिए। उन्हें अपने मालिक के आदेशों का पालन करने और हुर्रियत के नेताओं को इस तरह हिरासत में लेने का कोई अधिकार नहीं है।

उमर ने ट्विटर पर कहा, जम्मू-कश्मीर राज्य सरकारों ने बीते समय में कभी भी एपीएचसी के नेताओं को पाक उच्चायोग जाने से रोकने के लिए हिरासत में नहीं लिया। यदि केंद्र हुर्रियत के नेताओं को सरताज अजीज से मिलने से रोकने के लिए इतना ही आतुर था तो उसे इन लोगों को खुद ही हिरासत में रहने के लिए कह देना चाहिए था।

उमर ने ट्वीट किया, मैंने भारत-पाक की ऐसी वार्ता कभी नहीं देखी, जहां दोनों ही पक्ष इसे विफल करने के लिए इतने आतुर हैं। भारत और पाक वार्ताओं को रदद करने के कारण के लिए एक दूसरे से स्पर्धा कर रहे हैं। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पहले उफा और अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकारों की ये नियोजित वार्ताएं अंतरराष्ट्रीय दबाव में की जा रही हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों ही उम्मीद कर रहे हैं कि सामने वाला पक्ष इससे पीछे हट जाएगा।