युद्धग्रस्त यूक्रेन से जान बचाकर भागीं महिलाएं और बच्चे मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी का शिकार हो रहे हैं। यूक्रेन से सटे पोलैंड, रोमानिया, माल्दोवा, हंगरी और स्लोवाकिया में बने शरणार्थी शिविरों में बड़े पैमाने पर मानव तस्कर सक्रिय हो गए हैं, जो इन महिलाओं व बच्चों को अपने चंगुल में फंसा रहे हैं। इनका शारीरिक शोषण भी हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) ने अ पनी रिपोर्ट में कहा है कि महिलाएं व बच्चे शोषण का ज्यादा शिकार हो रहे हैं।

यूक्रेन से विस्थापित लोगों में 15 लाख से ज्यादा बच्चे हैं। इससे यूरोप में मानवीय संकट खड़ा हो गया है और यह दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे तेज विस्थापन है। यूएनएचसीआर का कहना है कि तस्कर अक्सर बड़े पैमाने पर जनसंख्या आंदोलनों की अराजकता का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। 24 फरवरी से 15 लाख से ज्यादा बच्चे यूक्रेन से शरणार्थी के रूप में भाग गए हैं और अनगिनत अन्य देश के अंदर हिंसा से विस्थापित हुए हैं। बच्चों के सामने खतरा वास्तविक और बढ़ रहा है।

अंतरराष्ट्रीय संस्था – ‘यूनिसेफ और इंटर-एजंसी कोआडिर्नेशन ग्रुप अगेंस्ट ट्रैफिकिंग’ (आइसीएटी) के एक विश्लेषण के अनुसार, वैश्विक स्तर पर तस्करी के शिकार लोगों में से 28 फीसद बच्चे हैं। यूक्रेन के संदर्भ में यूनिसेफ के बाल संरक्षण विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों की संभावित तस्करी के शिकार लोगों के अनुपात में और भी ज्यादा होने की आशंका है।

यूरोप और मध्य एशिया के यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक अफशान खान के मुताबिक, ‘यूक्रेन में युद्ध बड़े पैमाने पर विस्थापन और शरणार्थी प्रवाह की ओर ले जा रहा है- ऐसी स्थितियां जो मानव तस्करी और एक तीव्र बाल संरक्षण संकट में जबरदस्त वृद्धि कर सकती हैं। विस्थापित बच्चे अपने परिवारों से अलग होने, शोषित और तस्करी के लिए बेहद असुरक्षित हैं। उन्हें इस क्षेत्र में सरकारों को कदम उठाने और उन्हें सुरक्षित रखने के उपाय करने की जरूरत है।’

यूनिसेफ पड़ोसी देशों और गंतव्य के अन्य देशों की सरकारों से सीमा पार, विशेष रूप से यूक्रेन के साथ जोखिम वाले बच्चों की बेहतर पहचान करने के लिए बाल सुरक्षा जांच को मजबूत करने का आग्रह कर रहा है। सुरक्षा जोखिमों के लिए अतिरिक्त स्क्रीनिंग आश्रयों, बड़े शहरी रेलवे स्टेशनों और अन्य स्थानों पर लागू की जानी चाहिए जहां शरणार्थी इकट्ठा हो रहे हैं या वहां से गुजर रहे हैं।

यूनिसेफ के मु ताबिक, रूस के यूक्रेन पर हुए हमले के बाद से अब तक करीब 15 लाख यूक्रेनी बच्चे शरणार्थी बन गए हैं। हिसाब लगाया जाए तो हर सेकंड एक यूक्रेनी बच्चा शरणार्थी बन रहा है। आंकड़े हैं कि 24 फरवरी के बाद से हर एक मिनट में 55 बच्चे देश छोड़कर भाग चुके हैं। जेनेवा में यूनिसेफ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर के मुताबिक, यूक्रेन में जंग की शुरुआत से हर दिन औसतन 75,000 से अधिक बच्चे शरणार्थी बन गए हैं।

ऐसी रिपोर्ट है कि यूक्रेन में जंग करने के साथ-साथ रूसी सेना अपने देश के लिए बंधुआ मजदूर भी जुटा रही है। यूक्रेन के अधिकारियों ने रूसी सेना पर मारियुपोल से 4,500 लोगों का अपहरण करने का आरोप लगाया है। यूक्रेन का कहना है कि इन नागरिकों को रूसी सेना अपनी सीमा में ले गई है और उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए हैं। इनसे बंधुआ मजदूरी कराने की तैयारी है। हालांकि, इस दावे से पहले रूस ने कहा था कि यूक्रेनी नागरिकों ने उसके यहां शरण मांगी है। वह यूक्रेन में आम लोगों को सभी तरह की सहायता देने की कोशिश कर रहा है।

न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक, मारियुपोल के मेयर के असिस्टेंट पायोत्र आंद्रेयूस्चेंको नेकहा कि रूसी सेना हमारे शहर के 4,000 से 4,500 नागरिकों को जबरन ले गई है। इन सभी को दक्षिण-पश्चिमी रूसी शहर टैगान्रोग में रखा गया है। रायटर्स ने यूक्रेन के शहर मारियुपोल से निकाले गए लोगों को रूस के रोस्तोव रीजन में टैगान्रोग शहर के एक स्कूल में रखे जाने की तस्वीर जारी की है। इस तस्वीर में कहा गया है कि इन सभी के लिए स्कूल में अस्थायी आश्रय स्थल बनाया गया है। आंद्रेयूस्चेंकी के आरोप से एक दिन पहले शुक्रवार रात को रूस के नेशनल डिफेंस कंट्रोल सेंटर के प्रमुख मिखाइल मिजिनत्सोव ने दावा किया था कि 24 घंटे के दौरान 7,800 यूक्रेनी नागरिकों ने रूसी गणराज्य में शरण दिए जाने की गुहार लगाई थी।