सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस से जुड़े पूर्व आईपीएस अफसर रजनीश राय को नौकरी क्यों दी गई यह पूछने पर गुजरात हाई कोर्ट की एक बेंच ने मोदी सरकार को फटकार लगाई है। राजनीश राय वीआरएस लेकर देश के प्रीमियम संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) अहमदाबाद में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आईआईएम को एक पत्र के जरिए उनकी नियुक्ति पर जवाब मांगा। पत्र में मंत्रालय ने पूछा कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस से जुड़े पूर्व अफसर को नौकरी क्यों दी गई? जबकि वह इस केस में संदेह के घेरे में हैं। कोर्ट ने इसी पर केंद्र को फटकार लगाते हुए जवाब मांगा है।

सुनवाई के दौरान राय के वकील राहुल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि ‘पिछले हफ्ते मंत्रालय ने आईआईएम अहमदाबाद को पत्र लिखकर पूछा था कि सरकार रिकॉर्ड के मुताबिक राय सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में संदेह के घेरे में हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति किस आधार पर की गई। बेंच में शामिल एस आर ब्रह्मभट्ट ने इसपर कहा ‘आईआईएम एक स्वतंत्र संस्थान है, ऐसे में भारत सरकार इस तरह का पत्र कैसे भेज सकती है? पीठ ने इस संबंध में केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी है। सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से सहायक सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास अदालत में अनुपस्थित थे।

सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि गृह मंत्रालय ने एचआरडी मंत्रालय को राय की नौकरी और वीआरएस के नॉन-अप्रुवल एप्लिकेशन के बारे में जानकारी दी थी। इसके साथ ही पिछले साल दिसंबर में राय के निलंबन का आदेश और उनके खिलाफ 14 जनवरी को दायर चार्जशीट के बारे में जानकारी मुहैया कराई गई थी। इसके बाद ही एचआरडी मंत्रालय ने आईआईएम को पत्र जारी कर सवाल किए।

बता दें कि राय ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें अपने जीवन यापन के लिए किसी भी तरह के रोजगार को चुनने दिया जाए। वहीं उनके वकील ने कहा कि मामले में देरी से सुनवाई की वजह से उनके मुक्किल को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। गर्मियों की छुट्टी के बाद कोर्ट खुली है ऐसे में इस पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाए। मालूम हो कि सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में वर्ष गुजरात कैडर के तीन आईपीएस अधिकारियों डी.जी.वणजारा, दिनेश एम.एन, राजकुमार पांडियन की गिरफ्तारी करने के चलते रजनीश राय पहली बार चर्चा में आए थे।