मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) ने आईआईएम (IIM) में प्रमुख लोगों को चुनने में सरकार का रोल खत्म करने का फैसला कर लिया है। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अपनी मंजूरी दे दी है। अब सभी आईआईएम अपनी मर्जी से स्वायत्त रूप से बोर्ड ऑफ गवर्नर (BOG) का चेयरमैन चुन सकेंगे। इस बिल को लेकर पूर्व में मानव संसाधन विकास मंत्री रहीं स्मृति ईरानी और आईआईएम प्रशासन के बीच काफी बहस हुई थी। उस वक्त की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्मृति ईरानी आईआईएम में सरकार और एचआरडी मिनिस्ट्री का रोल कम नहीं होने देना चाहती थीं। इस वजह से उनकी और प्रधानमंत्री कार्यलय के बीच भी तकरार की खबरें आईं थीं। दरअसल, यह बिल प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से ही लाया गया था, लेकिन स्मृति इसे मानने को तैयार नहीं थीं।

क्या हुआ था तब: मई में आईआईएम अहमदाबाद की तरफ से स्मृति ईरानी को एक लिस्ट भेजी गई थी। इस लिस्ट में उन लोगों का नाम था जिसमें से किसी एक को बोर्ड ऑफ गवर्नर के लिए चुना जाना था। इसमें इनफोसिस के चेयरमैन और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर आर शहशाशे, एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख, हीरो मोटोकोप के सीएमडी पवन मंजुल का नाम था। लेकिन भेजी गई लिस्ट को एचआरडी की तरफ से बेकार बता दिया गया था। लिस्ट में क्या कमी थी इस बारे में भी स्मृति की तरफ से कोई जवाब नहीं आया था। लेकिन अब कैबिनेट में बदलाव के बाद आए प्रकाश जावड़ेकर ने सभी आईआईएम को स्वायत्ता देने का फैसला कर लिया है जिससे अब आईआईएम ऐसे फैसले बिना मंत्रालय की इजाजत के ले सकेंगे।

मिली जानकारी के मुताबिक, प्रकाश जावड़ेकर ने पिछले महीने पीएमओ के साथ मीटिंग की थी। उस दौरान ही फैसला ले लिया गया था कि चेयरमैन को चुनने में अब सरकार का रोल नहीं रहेगा।