छोटा राजन सेंट्रल मुंबई के उपनगर चेम्बूर में बड़ा हुआ। उसे स्कूल में साथी खूब परेशान करते थे। उन दिनों वह दब्बू हुआ करता था। 11वीं में ही उसने स्कूल जाना छोड़ दिया। वह सिनेमा टिकटों की कालाबाजारी करने लगा। इसी धंधे के जरिए वह बड़ा राजन के संपर्क में आया। उसने उसे छोटा राजन बनाया। उसकी मौत के बाद छोटा राजन ने खुद को और ताकतवर बनाया। मौत का बदला लिया। इसके बाद दाऊद की नजरों में वह चढ़ गया। दाऊद उसे अपने साथ दुबई लेता गया। इस बीच और क्या-क्या हुआ पढि़ए मोहम्मद थावेर, रोहित आलोक और रश्मि राजपूत की इस रिपोर्ट में।
राजन की पढ़ाई:
राजेंद्र सदाशिव निखालजे उर्फ छोटा राजन 1968 में तिलक नगर (चेंबूर, मुंबई) के आमची शाला में पढ़ता था। यह मराठी मीडियम का स्कूल था। स्कूल में वह हमेशा आगे की बेंच पर ही बैठता था। एक बार पीछे से किसी बच्चे ने उसकी शर्ट पर स्याही फेंक दी थी। वह रोते-रोते शिकायत लेकर सीधा क्लासटीचर के पास चला गया था। क्लास 8-बी के कुछ लड़कों ने एक दिन उसे स्कूल के बाथरूम में बंद कर दिया था। वह दरवाजा खोलने के लिए चिल्ला-चिल्ला कर गुहार लगा रहा था। उसके साथ पढ़ने वाले एक शख्स ने उन दिनों को याद करते हुए कहा, ‘तब वह इतना कमजोर था कि गुहार लगाने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकता था।’
राजेंद्र के एक दोस्त के मुताबिक वह पढ़ाई में औसत था। स्कूल में वह पढ़ाई से ज्यादा लेजिम (मराठी लोक नृत्य) में दिलचस्पी लेता था। पिता की नौकरी छूटने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी थी। तब वह 11वीं में पढ़ता था। स्कूल छोड़ कर वह घर के पास के साहाकर प्लाजा सिनेमा में पहुंच गया। वहां वह टिकटों की कालाबाजारी करने लगा।
ऐसे राजेंद्र बन गया छोटा राजन:
राजन के पिता सदाशिव निखालजे एक मिल में काम करते थे। 70 के दशक में उनकीे नौकरी छूट गई। पिता की नौकरी छूटने के बाद राजेंद्र सिनेमा हॉल में टिकटों की कालाबाजारी करने लगा था। इसी दौरान वह राजन नायर के संपर्क में आया। नायर चेम्बूर इलाके का गैंगस्टर था। वह बड़ा राजन के नाम से कुख्यात था। पूरे इलाके में सिनेमा टिकटों की कालाबाजारी करने वालों का सरगना था। बाकी कालाबाजारियों से वह हफ्ता वसूलता था। 1970 के दशक के अंतिम वर्षों की बात है। एक वाकया हुआ। इस वाकये के चलते ही राजेंद्र बड़ा राजन यानी राजन नायर की नजर में आया। मिथुन चक्रवर्ती की एक फिल्म आने वाली थी। सिनेमाहॉल के बाहर कालाबाजारियों के बीच झगड़ा हो गया।राजेंद्र खुद मिथुन का बहुत बड़ा फैन था। झगड़े के बाद आई पुलिस सबसे पहले उसी को पकड़ कर ले गई। वह पुलिसवालों से ही भिड़ गया। उसे रात भर लॉक अप में रखा गया। फिर चार्जशीट भी बना। बड़ा राजन को यह खबर लगी। उसने राजेंद्र को अपना साथी बना लिया। राजेंद्र के छोटा राजन बनने की कहानी यहीं से शुरू हुई।
छोटा राजन कैसे जुर्म की दुनिया में आगे बढ़ता गया और दाऊद का साथी बन गया, यहां क्लिक कर पढ़ें कहानी का दूसरा हिस्सा
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