उत्तर प्रदेश के रहने वाले 50 वर्षीय मोहम्मद अखलाक़ को दादरी स्थित बिसहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 को कुछ लोगों ने बीफ रखने और खाने की अफवाह के चलते पीट-पीट कर मार दिया था। घटना में उनका बेटा भी बुरी तरह घायल हो गया था। मामले में 18 लोगों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने 23 दिसंबर 2015 को मामले में आरोपपत्र दायर कर दिया। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद अभी तक अदालत में अभियुक्तों पर आरोप तय नहीं किए जा सके हैं। मामले में अदालत में 18 तारीखें पड़ चुकी हैं लेकिन अदालती कार्रवाई केवल पांच मौकों पर हुई। आरोप तय किए जाने के बाद ही मुकदमे की आगे की कार्रवाई शुरू हो सकेगी। फिलहाल सभी 18 आरोपी अभी जेल में हैं। वहीं इस साल जून में स्थानीय अदालत के कहने पर पुलिस ने अखलाक़ समेत उनके परिवार के छह सदस्यों पर गोहत्या और पशु क्रूरत कानून के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस को अभी तक अपनी जांच में अखलाक़ या उनके परिवार के किसी सदस्य के गोहत्या में शामिल होने का सुबूत नहीं मिला है। आइए एक नजर डालते हैं अदालत में ये मामला अब तक किस तरह आगे बढ़ा है-
23 दिसंबर 2015: पुलिस ने सूरजपुर की मजिस्ट्रेट अदालत में आरोपपत्र दायर किया।
09 फरवरी 2016: अदालत ने आरोपपत्र का संज्ञान लिया। आरोपपत्र में हत्या का भी आरोप था इसलिए मामले को सत्र न्यायालय (सेशन कोर्ट) में भेज दिया गया।
01 अप्रैल 2016: मामले को सेशन कोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट (एफटीसी) में स्थानातंरित कर दिया।
मामले की अगली तारीख 07 अप्रैल 2016 को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सभी आरोपियों पर आरोप तय किए जाने थे। लेकिन कई तारीख बीत जाने के बाद भी अभी तक ये नहीं हो सका है।
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07 अप्रैल और 13 अप्रैल 2016, 04, 09, 17 और 25 मई 2016: मामले की सुनवाई टल गई। बचाव पक्ष ने अतिरिक्त दस्तावेज, मेडिकल रिपोर्ट और मथुरा की प्रयोगशाला से आई मीट की रिपोर्ट की मांग की।
31 मई 2016: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने वादी और प्रतिवादी दोनों पक्षों को मथुरा प्रयोगशाला से आई मीट रिपोर्ट की प्रति सौंपी।
06 जून 2016: पुलिस ने मुख्य गवाह से मिली जानकारी के आधार पर पूरक आरोपपत्र दायर किया। अखलाक़ के बेटे दानिश और बेटी शाइस्ता ने अतिरिक्त दस्तावेज प्रदान किए जाने के लिए याचिका दी।
10 जून 2016: सुनवाई टल गई। बचाव पक्ष ने अतिरिक्त दस्तावेज दिए जाने की मांग की।
04 जुलाई 2016: अवकाश के कारण फास्ट ट्रैक कोर्ट बंद रही।
25 जुलाई 2016: सुनवाई टल गई। बचाव बक्ष ने अतिरिक्त दस्तावेज, मेडिकल रिपोर्ट और मथुरा प्रयोगशाला की रिपोर्ट मांगी।
01 अगस्त 2016: दो मुख्य आरोपियों के वकीलों ने अतिरिक्त दस्तावेज मांगे.
08 अगस्त 2016: मामले से जुड़े कुछ वकीलों ने अतिरिक्त दस्तावेज मांगे।
31 अगस्त 2016: जज के छुट्टी पर होने के कारण सुनवाई टल गई।
23 सितंबर 2016: जज के छुट्टी पर होने के कारण सुनवाई टल गई।
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मामले में अगली तारीख 28 अक्टूबर 2016 को है। चार आरोपियों के वकील राम सरन नागर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “चूंकि मामले में 18 आरोपी हैं इसलिए उनके वकील अलग-अलग तरह की याचिका दायर करते रहते हैं और अभी आरोप तय किए जाने बाकी हैं. मामले में 5-6 वकील जुड़े हुए हैं। ऐसे मामलों में ऐसा ही होता है। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को है।”
अखलाक़ के भाई जान मोहम्मद ने कहते हैं कि उन्हें संविधान और न्यायपालिका पर पूरा यकीन है। जान मोहम्मद ने कहा, “घटना के एक साल हो गए हैं। उससे पहले हिंदू मुसलमान मिल-जुल कर रहते थे। हमें संविधान और न्यायपालिका में पूरा यकीन है। पुलिस भी जो कर सकती थी उसने किया। अभी मामला लंबित है और दोषियों को सज़ा होना बाकी है। मुझे यकीन है कि आखिरकार सच सामने आएगा। हम एक साल से अपने गांव नहीं गए हैं, जहां हम पले-बढ़े हैं।”
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