Indian Railways News: हम में से लगभग सभी लोगों ने कभी न कभी तो ट्रेन में सफर किया ही होगा। ट्रेन में सफर करते समय हमें इस्तेमाल करने के लिए फ्री में चादर और कंबल दिए जाते हैं। यह भी हर किसी व्यक्ति को नहीं दिए जाते हैं, यह केवल एसी कोच में सफर करने वाले लोगों को ही मुहैया कराए जाते हैं। इसमें थर्ड एसी, सेकंड एसी और फर्स्ट एसी कोच शामिल हैं। लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि क्या इन कंबल और चादरों को कब धोया जाता है। इस सवाल का जवाब खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बुधवार को दिया।

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेल में सफर कर रहे लोगों को दिए जाने वाले कंबलों की धुलाई महीने में कम से कम एक बार की जाती है। रजाई कवर के तौर पर इस्तेमाल के लिए बेडरोल किट में एक अतिरिक्त बेडशीट भी दी जाती है। अपने लिखित जवाब में रेल मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे में इस्तेमाल किए जाने वाले कंबल हल्के होते हैं और धोने में आसान होते हैं। इतना ही नहीं यह यात्रियों को आरामदायक यात्रा का एक्सपीरियंस भी देते हैं।

आज की ताजा खबर

किसने किया सवाल

कांग्रेस पार्टी के गंगानगर से सांसद कुलदीप इंदौरा ने रेल मंत्री से सवाल करते हुए पूछा था कि क्या कंबल या ब्लैंकेट को महीने में केवल एक बार ही धोया जाता है जबकि यात्री तो बेसिक स्वच्छता स्टैंडर्ड को पूरा करने वाले बिस्तर के लिए भुगतान तो ही कर रहे हैं। रेल मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि नए कंबलों के बीआईस स्टैंडर्ड को भी बढ़ाया गया है। कंबलों की सफाई के लिए मशीनों और लिक्वविड का भी एक मानक तय किया गया है। इनसे जुड़ी हुई शिकायत के लिए रेलमदद पोर्टल को भी अपडेट किया गया है और वॉर रूम को भी स्थापित किया गया है।

भारत में आने वाली हैं वंदे भारत से भी तेज ट्रेनें

रेल मंत्री ने यह भी कहा कि धुले हुए लिनेन की क्वालिटी की जांच के लिए व्हाइटो-मीटर का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि चादरों का जीवनकाल भी बेहद कम कर दिया गया है। अब जल्दी ही चादरों को चलन से बाहर कर दिया जाता है और नई चादरों को शामिल किया जा रहा है। रेलवे में भर्तियों के लेकर भी अश्विनी वैष्णव ने अहम जानकारी दी है। पढ़े पूरी खबर…