28 साल के राम को बस एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी और राजस्थान के सीकर जिले में अपने होम टाउन से बाहर निकलने का रास्ता चाहिए था। बीते साल 6 अक्टूबर को राम ने दिल्ली से उड़ान भरी और अपने जैसे एक दर्जन दूसरे लोगों के साथ बस से मलेशिया पहुंचने से पहले बैंकॉक पहुंच गए। उन्होंने करीब सात महीने तक मलेशिया के एक रेस्टोरेंट में काम किया और उसके बाद उन्हें अपने पिता के बीमार होने के बाद घर भागना पड़ा।
दिल्ली एयरपोर्ट पर उसे तुरंत अधिकारियों को सौंप दिया गया और उसे चार दिन पुलिस हिरासत में बिताने पड़े। बाद में जब उसके वीजा की जांच की गई तो इमिग्रेशन अधिकारियों को उस पर मलेशिया 2022 की मुहर लगी दिखी। यह पूरी तरह से उसकी यात्रा से मिलान नहीं कर रही थी। राम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एक एजेंट ने मुझसे 1.5 लाख रुपये लिए। मेरे परिवार में कोई ज्यादा अच्छा पढ़ा लिखा नहीं है। इसी वजह से उसने इसका फायदा उठाया और मेरे पासपोर्ट पर नकली इमिग्रेशन स्टैम्प लगा दिया। मैं अब इस मामले में फंस गया हूं। राम इस मामले में फंसने वाला कोई अकेला शख्स नहीं है बल्कि संदीप कुमार की कहानी भी ऐसी ही मिलती जुलती है।
संदीप कुमार की कहानी भी राम जैसी
पंजाब के गुरदासपुर में अपने गांव में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करने वाले संदीप कुमार को एक एजेंट ने मलेशिया में नौकरी दिलाने का वादा करके थाईलैंड बुलाया था। थाईलैंड से वह कई दूसरे लोगों के साथ नांव से वहां पहुंचे। मलेशिया में उसे अच्छी सैलरी नहीं मिलने और रहने की सही व्यवस्था ना हो पाने पर उसने 21 दिन बाद ही वापस आने का फैसला किया। हालांकि, थाईलैंड एयरपोर्ट पर उसे इमिग्रेशन अधिकारियों ने उसे भी पकड़ लिया। उसको भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। संदीप ने कहा कि यह मामला मुझ पर मानसिक तौर भी काफी भारी पड़ रहा है।
डंकी रूट अपनाने के आरोप में अरेस्ट
संदीप और राम भी उन 70 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने इस साल विदेश पहुंचने के लिए अवैध रास्ते या डंकी रास्ते को अपनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। डंकी रास्ते का मतलब है कि दुनिया भर में लोग अक्सर उन जगहों तक पहुंचने के लिए खतरनाक रास्तों को अपनाते हैं। जहां पर वे जाना चाहते हैं। ये सभी यात्राएं कानूनी परमिट की कमी और आर्थिक रूप से कमजोरी की वजह से की जाती हैं।
100 से ज्यादा जालसाज ट्रैवल एजेंट को गिरफ्तार किया
पुलिस ने इस साल जून तक तक धोखाधड़ी के अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हुए देशभर से यात्रियों को विदेश भेजने के आरोप में 100 से ज्यादा जालसाज ट्रैवल एजेंटों को अरेस्ट किया है। दिल्ली पुलिस की आईजीआई यूनिट के मुताबिक, इन यात्रियों को उन देशों में भेजा जाता है, जहां वीजा-ऑन-अराइवल की सुविधा है और फिर अवैध तरीके से बार्डर पार करवाकर उनके डेस्टिनेशन कंट्री तक भेज दिया जाता है। अधिकारियों ने बताया कि फर्जी शेंगेन वीजा वाले यात्रियों को अजरबैजान या कजाकिस्तान जैसे यूरोपीय देशों में भेजा जाता है। वहां से उन्हें ग्वाटेमाला और कोस्टा रिका जैसे देशों के रास्ते अमेरिका में भेजा जाता है।
बैंकॉक से मलेशिया जाने में बमुश्किल 15 मिनट की बस यात्रा लगती है। ऐसा ही संदीप के मामले में देखा गया था। कुछ मामलों में यात्री मेक्सिको जाने से पहले नकली शेंगेन वीजा हासिल कर लेते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यहां से ही वह डंकी रास्ता लेते हैं। यह बार्डर से होकर कई किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अमेरिका पहुंचता है। पुलिस ने एजेंटों से मिलते जुलते चेहरे वाले व्यक्तियों को पासपोर्ट पर यात्रा करने वाले यात्रियों के मामलों का भी भंडाफोड़ किया है।
अधिकारियों ने बताया कि जिन यात्रियों को डिपोर्ट कर दिया है और ब्लैकलिस्ट में डाल दिया गया है वे अक्सर नया पासपोर्ट पाने के लिए अपनी पहचान बदल लेते हैं। इसके अलावा वह फर्जी सीमैन सर्विस बुक और फर्जी अपाइंटमेंट लेटर हासिल कर लेते हैं।