Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में मनमाने ढंग से मकान ढहाने के लिए सोमवार को यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई से उनकी अंतरात्मा को धक्का लगा है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने नोटिस देने के 24 घंटे के अंदर ही मकानों को बुलडोजर से गिराने और पीड़ितों को अपील करने का समय नहीं देने पर भी कड़ी नाराजगी जताई।

बेंच ने कहा, ‘यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है कि किस तरह से आवासीय परिसरों को मनमाने तरीके से गिराया गया। जिस तरह से पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया, वह चौंकाने वाला है। कोर्ट ऐसी प्रक्रिया को बर्दाश्त नहीं कर सकता। अगर हम एक मामले में इसे बर्दाश्त करते हैं तो यह जारी रहेगा।’ अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने तोड़फोड़ का बचाव करते हुए कहा कि 8 दिसंबर 2020 को उन्हें पहला नोटिस दिया गया था, उसके बाद जनवरी 2021 और मार्च 2021 में नोटिस दिए गए।

एजी ने क्या कहा?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, एजी ने कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था। जस्टिस ओका ने कहा, ‘राज्य को बहुत निष्पक्षता से काम करना चाहिए। राज्य को संरचनाओं को ध्वस्त करने से पहले उन्हें अपील दायर करने के लिए सही समय देना चाहिए। 6 मार्च को नोटिस दिया गया और 7 मार्च को कार्रवाई की गई। अब हम उन्हें फिर से निर्माण करने की इजाजत देंगे।’ अटॉर्नी जनरल ने तब चेतावनी दी कि इस तरह के आदेश का बड़ी संख्या में अवैध कब्जेदारों द्वारा फायदा उठाया जा सकता है।

‘आरोपी की संपत्ति गिराना संविधान पर बुलडोजर चलाने जैसा’

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी की थी आलोचना

सुप्रीम कोर्ट ने पहले प्रयागराज में सही कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना घरों को ध्वस्त करने पर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि यह कार्रवाई चौंकाने वाली और गलत संकेत देती है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि राज्य सरकार ने यह सोचकर कि जमीन गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की है, गलत तरीके से घरों को ध्वस्त किया। अतीक अहमद 2023 में मारा गया था। सुप्रीम कोर्ट वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके घर तोड़ दिए गए थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने घरों को गिराए जाने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी