वायनाड में मची तबाही के बाद मौत का आंकड़ा 300 से ज़्यादा हो गया है। बचाव अभियान जारी है। लगातार मलबे से लाशे मिल रही हैं। मेप्पाडी में 8 ऐसी लाशों को दफनाया गया है जिनकी पहचान तक नहीं हो सकी है। उनका DNA सैंपल लिया गया है। ऐसे कई परिवार हैं जिनके सदस्य अबतक नहीं मिल सके हैं। NDRF और राज्य सरकार की टीमें खोज अभियान में जुटी हुई हैं। कई परिवारों के बचे हुए सदस्य भी पहचान के लिए मेडिकल सेंटर पर जमा हैं।
पहचान तक नहीं हो पा रही
बचाव अभियान में जुटी टीमों के सामने सबसे बड़ी समस्या लाशों को खोजना और उनकी पहचान करना है। मलबे में दबी कई लाशों की पहचान तक कर पाना मुश्किल साबित हो रहा है। ऐसे में पता DNA टेस्ट के ज़रिए किया जा रहा है। जिसका मिलान करीबी रिश्तेदारों से किया जा रहा है। लैंडस्लाइड के बाद से अबतक लगभग 200 लोग लापता हैं। ऐसे लोगों की जानकारी जमा करने के लिए सर्वे अभियान भी चलाया जा रहा है। अभी तक हासिल हुए शवों में बिहार के मजदूर भी हैं, जिनमें से कुछ अभी भी लापता हैं।
सबसे ज़्यादा प्रभावित गांवों में चूरलमाला, अट्टामाला और मुंडक्कई हैं। जहां बड़े बागान हैं और प्रवासी मज़दूर काम करते हैं। जानकारी के मुताबिक बिहार के चार लोग उन बागानों में काम कर रहे थे। जिनकी तलाश जारी है। 380 से ज़्यादा की तादाद में मजदूरों को लैंडस्लाइड के बाद राहत शिविरों में रखा गया है।
कई बच्चे अनाथ
जानकारी यह है कि आसपास के स्कूलों को भी बड़ा नुकसान हुआ है। कई बच्चे यहां पढ़ते थे, जिनके मां बाप भी इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठे हैं। ऐसे बच्चों को राहत शिविरों में रखा गया है। राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए केरल के मंत्री ने कहा कि बड़े पैमाने पर इलाके का सर्वे किया जा रहा है और लापता लोगों का पता लगाया जा रहा है। मलबे इतना ज्यादा है कि बचाव अभियान में काफी दिक्कतें आ रही हैं।