मोदी सरकार ने 312 विदेशी सिख नागरिकों को ब्लैक लिस्ट से हटा दिया है। इन सभी पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का शक था। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सरकार ने यह फैसला जांच एजेंसियों के रिव्यू करने के बाद लिया है। एजेंसियों ने प्रतिकूल यानी एडवर्स सूची का रिव्यू किया और लिस्ट में 312 लोगों के नाम हटा दिए। अब इस सूची में सिर्फ 2 लोगों के ही नाम बचे हैं।

एक अधिकारी ने इस फैसले पर कहा ‘भारत सरकार ने एडवर्स सूची का रिव्यू किया है। एडवर्स सूची में कुल 314 लोग शामिल थे जो कि सिख समुदाय के हैं। अब इस लिस्ट में सिर्फ दो ही लोग रह गए हैं।’ इस फैसले से सूची से बाहर किए गए सिखों को भारत में वीजा अप्लाई करने की छूट मिलेगी और इसके साथ ही वह अपने परिवार के साथ भारत का दौरा कर सकेंगे। अधिकारी के मुताबिक सूची का रिव्यू एक निश्चित समय अंतराल के दौरान किया जाता है। इस तरह के रिव्यू से विदेशी सिख नागरिकों को राहत दी जाती है जिससे वह भारत में अपने वंशजों से मिल-जुल सकें।

यही नहीं अधिकारी ने बताया कि विदेशों में भारतयी मिशनों में एडवर्स सूचियों की व्यवस्था को भी बंद कर दिया गया है। इसकी वजह से सिख समुदाय के लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को कांसुलर या फिर वीजा सेवाएं लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता था।

मालूम हो कि 1980 के दौरान भारतीय सिख और विदेशी सिख एंटी-इंडिया प्रोपगेंडा में शामिल रहे थे। इसके बाद सरकार ने कार्रवाई शुरू की तो गिरफ्तारी के डर से कई सिख विदेश में जा बसे। जो विदेश में जाकर बस गए उनका भारत में आना नामुमकिन हो गया और इसके साथ ही वह अपने परिवार से मिलने में असमर्थ हो गए। इसके बाद सरकार ने इन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया।