केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हथियार और गोला-बारूद के उत्पादन को ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के लिए नियमों को उदार किया है। मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार, नियमों के उदार होने से इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत हथियार प्रणालियों और गोला-बारूद के देश में उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। बयान में कहा गया है कि उदार नियमों के कारण देश में निर्मित वैश्विक स्तर के हथियारों के जरिए सेना और पुलिस बल की हथियार संबंधी आवश्यकताएं पूरी की जा सकेंगी।
बयान के मुताबिक, नए नियम गृह मंत्रालय द्वारा छोटे हथियारों के निर्माण को प्रदान किए जाने वाले लाइसेंस पर लागू होंगे, साथ ही ये नियम औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के तहत लाइसेंस प्राप्त करने वाले टैंक, हथियारों से लैस लड़ाकू वाहन, रक्षक विमान, अंतरिक्ष यान, युद्ध सामग्री और अन्य हथियारों के पुर्जे तैयार करने वाली इकाइयों पर लागू होंगे। बयान में कहा गया है कि नए नियमों के अनुसार, उत्पादन के लिए दिया गया लाइसेंस आजीवन वैध होगा। प्रत्येक पांच वर्ष के बाद लाइसेंस के नवीनीकरण की शर्त भी हटा दी गई है।
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इसके साथ ही हथियार उत्पादकों द्वारा निर्मित छोटे और हल्के हथियारों को केंद्र और राज्य सरकारों को बेचने के लिए गृह मंत्रालय की पूर्व अनुमति की अब जरूरत नहीं होगी। बयान के अनुसार, अनुमति से 15 फीसदी अधिक उत्पादन किया जाता है तो इसके लिए सरकार से स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होगी। सिर्फ उत्पादक इकाई को लाइसेंस देने वाले प्राधिकरण को सूचना देनी होगी। बयान में यह भी कहा गया है कि इस संबंध में नए संशोधित नियमों को गृह मंत्रालय ने 27 अक्टूबर, 2017 को जारी कर दिया है।