नेपाल से भारत में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे हिजबुल मुजाहिदीन के एक आतंकवादी को इस सप्ताह के प्रारंभ में उत्तर प्रदेश में एक सीमा चौकी से गिरफ्तार कर लिया गया। सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के प्रवक्ता दीपक सिंह ने रविवार को बताया कि जम्मू एवं कश्मीर के डोलगाम गांव का निवासी नसीर अहमद (34) कश्मीरी कालीन और कश्मीरी सामान के विक्रेता के रूप में भारत में घुसपैठ का प्रयास कर रहा था, जब एसएसबी की प्रथम बटालियन ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

सिंह ने बताया कि अहमद जम्मू एवं कश्मीर के बुतपुरा गांव निवासी अपने साथी मोहम्मद शफी के साथ 10 मई को शारजाह के रास्ते पाकिस्तान के फैसलाबाद से नेपाल स्थित काठमांडू पहुंचा था। एसएसबी अधिकारी ने कहा, “काठमांडू से वे अलग हो गए और अहमद भारत-नेपाल सीमा पर पहुंच गया। उसके पास सीमा पार करते समय सही पहचान पत्र नहीं था, इसलिए हमारे सुरक्षा कर्मियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया।”

एसएसबी अधिकारी ने कहा, “उसके पास से एक पाकिस्तानी पासपोर्ट और पंजाब (पाकिस्तान) के लाला मूसा गांव के पते वाला पहचान पत्र बरामद हुआ है।”

अधिकारी के मुताबिक, अहमद एक सक्रिय आतंकवादी है और सितंबर 2003 से पाकिस्तान में रह रहा है। अधिकारी ने कहा, “वह नागरिकों और सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हिंसक अपराधों में शामिल है। उसे एक खास मिशन के लिए भारत भेजा गया था। पहले उसे बनिहाल और जम्मू एवं कश्मीर से सटे इलाकों में सक्रिय आतंकवादियों ने प्रशिक्षित किया और वह 2002 से आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त था।”

अहमद 2003 में 23 लोगों के एक समूह के साथ पाकिस्तान चला गया और हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया। अहमद ने नवंबर 2003 और जनवरी 2004 के बीच जम्मू एवं कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के साथ लड़ने के इरादे से पाकिस्तान के अताक में समूह के सदस्यों और साथ ही आईएसआई और पाकिस्तानी सेना के कर्मियों से हथियारों का प्रशिक्षण लिया। अहमद ने जांचकर्ताओं को बताया कि वह विभिन्न शिविरों में रहने के दौरान हिजबुल के लड़ाकों को कुरान की शिक्षा देता था।