ऐसा क्या है, जो कैलाश पर्वत, राम सेतु और केदारनाथ मंदिर को इतना पवित्र स्थान बनाता है? वैज्ञानिकों का मानना है कि इन स्थानों की भौगोलिक स्थितियां उन्हें अद्भुत और पूजनीय बनाती हैं। चट्टानों से बना कैलाश पर्वत शिवलिंग जैसा दिखता है और भारत एवं श्रीलंका को जोड़ने वाला राम सेतु अंतरिक्ष से नजर आने वाली, कोरल द्वीपसमूह की विशिष्ट संरचना है। वहीं वर्ष 2013 में आई भयंकर बाढ़ में भी अक्षुण्ण खड़ा रहा केदारनाथ मंदिर एक अस्थिर हिमोढ़ (ग्लेशियर मोराइन) पर बना है, जिसपर आम तौर पर कोई भी चीज बच जाने की संभावना नहीं होती।

दिलचस्प बात यह है कि अब वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि ऐसे विविध क्षेत्रों की तीर्थयात्राएं भारत की बेहद विविध संस्कृतियों के एकीकरण का तरीका हैं। उनका मानना है कि इन तीर्थयात्राओं के चलते विचारों का एक आपसी समाकलन हुआ है। इन अद्भुत स्थलों के बारे में लिखते हुए प्रतिष्ठित भूविज्ञानी और नैनीताल स्थित कुमाउच्च्ं विश्वविद्यालय के कुलपति खड़ग सिंह वाल्दिया ने कहा, ‘‘प्राचीन भारत में घूमने वाले साधु-संत, जो इनकी उत्पत्ति के रहस्य को सुलझाने में असमर्थ रहे, वे इसे प्रकृति के अनूठे कार्य की संज्ञा देने लगे। इन्हें देवत्व की श्रेणी में रखकर इनकी पड़ताल करते हुए इन्हें पूरी तरह एक नया अर्थ दे दिया गया।’’ जब कुछ प्राकृतिक अवधारणाओं की व्याख्या मौजूदा जानकारी के साथ करना मुश्किल हो जाता है तो अक्सर मानव उसे देवत्व से जोड़ने की कोशिश करते हैं।

बेहद पूजनीय माना जाने वाला ओम पर्वत भारत-तिब्बत और नेपाल के त्रिसंधि स्थल पर है। दूरी से देखे जाने पर इस पर्वत पर ‘ॐ’ लिखा दिखाई देता है, जिसमें इसपर लगी बिंदी भी बिल्कुल सटीक जगह पर होती है। वाल्दिया ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि ओम पर्वत ‘‘दो बार मुड़ी हुई चट्टानों से मिलकर बना है। ये चट्टानें कुछ इस तरह से मुड़ी हैं कि बीच में पड़ने वाले गड्ढे पूरे साल बर्फ से भरे रहते हैं।’’ इसकी वजह से भौगोलिक रूप से पर्वत पर ‘ॐ’ लिखा दिखाई देता है।

जम्मू-कश्मीर स्थित अमरनाथ गुफा एक अन्य बड़ा तीर्थस्थल है, जहां बर्फ से बना शिवलिंग विराजमान होता है। वाल्दिया कहते हैं कि यह कुछ और नहीं बल्कि ‘‘छत से पानी टपकने से बना एक शानदार स्तंभ है’’। यह जानकारी बहुत दुर्लभ है कि छत से पानी को टपकना होता है और फिर वह जम जाता है। ‘लिंग’ जैसी संरचना बनने के लिए सही तापमान होना जरूरी होता है। साल के अधिकतर हिस्से में गुफा का द्वार बर्फ से ढका रहता है।’’

वाल्दिया कहते हैं, ‘‘कोई व्यक्ति इसे भौगोलिक चमत्कार से अभीभूत न भी हो तो भी वह इससे प्रभावित हुए बिना कैसे रह सकता है?’’ हिंदुओं के इस पवित्र तीर्थस्थल पर लगभग छह लाख लोग दुर्गम चढ़ाई के बावजूद 3888 मीटर की उच्च्ंचाई पर स्थित इस स्थान पर आते हैं। यह स्थान युवाओं और बुजुर्गों सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है।

दक्षिण भारत में, राम सेतु और संबद्ध रामेश्वरम मंदिर दोनों ही पवित्र स्थल हैं। ‘रामसेतु’ की मौजूदगी भारत और श्रीलंका द्वीप की एकीकृत भौगोलिक स्थिति को बयां करता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने इस सेतु का इस्तेमाल अपनी सेना के साथ समुद्र पार करने के लिए किया था। इस सेतु की मदद से वह अपनी पत्नी सीता की खोज में श्रीलंका पर आक्रमण करने गए थे। सीता का अपहरण लंका के राजा रावण ने कर लिया था।