कर्नाटक में कभी टीपू सुल्तान की जयंती मनाए जाने का पुरजोर विरोध करने वाले संत श्री विश्व तीर्थ स्वामी ने अब स्कूली पाठ्यक्रम में मैसूर के 18वीं शताब्दी के शासक टीपू सुल्तान के बारे में स्कूली बच्चों को पढ़ाने का समर्थन किया है। उडुपी स्थित पेजावर मठ के संन्यासी ने शर्त के साथ मांग की है कि स्कूली छात्रों को टीपू के दोनों पक्षों के बारे में बताया जाए।

स्वामी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भाजपा के नेतृत्व वाली येदियुरप्पा की सरकार में टीपू सुल्तान को हिंदू-विरोधी और अत्याचारी बताते हुए उसे स्कूलों के पाठ्यक्रम से हटाने की आवाजें उठ रही हैं। ‘द टेलिग्राफ’ के मुताबिक गुरुवार को अपने आश्रम में स्वामी ने कहा, “टीपू सुल्तान एक विवादास्पद शख्सियत था और कोडगू के लोग जिनमें ईसाई भी शामिल थे, उसके नरसंहार से नफरत करती है। लेकिन वह एक अच्छा प्रशासक था और हमेशा गरीबों की मदद करता था।”

उन्होंने कहा, “टीपू की तलवार पर खुदाई करके लिखा था कि यह ‘काफिरों’ को मारने के लिए है। लेकिन ऐसे कई राजा रहे हैं जिन्होंने अच्छा और बुरा दोनों काम किए। राजाओं को महिमामंडित करने की कोई आवश्यकता नहीं है; इसके बजाय, इतिहास को सच बताना चाहिए।” स्वामी ने हालांकि टीपू जंयती नहीं मनाने के अपने रुख पर आज भी कायम हैं। 2015 से 2018 के बीच उन्होंने सरकार से बड़ी संख्या में लोगों के विरोध का हवाला देते हुए जयंती नहीं मनाने की बात कही थी। गौरतलब है कि येदियुरप्पा सरकार के गठन के बाद हालांकि, बीजेपी की सरकार ने ऐलान कर दिया कि राज्य में टीपू जयंती अब नहीं मनाई जाएगी।

गौरतलब है कि हाल ही में भाजपा विधायक अप्पाचू रंजन ने स्कूल की पाठ्यपुस्तकों से टीपू को हटाने की मांग की थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने कर्नाटक टेक्स्टबुक सोसाइटी से पूछा है कि इसे कैसे संभव किया जा सकता है।