भारत में हिन्दी भाषा को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन सभी शैक्षणिक संस्थानों से लेकर कार्यालयों में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में तमाम कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और हिन्दी के विद्वानों को याद किया जाता है। जब-जब हिन्दी की बात होती है सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को याद किया जाता है। उनके जीवन से जुड़े कई किस्से किताबों और पत्रिकाओं में छापे हैं। ऐसा ही एक किस्सा बापू और नेहरू के साथ भी है।
हिन्दी को लेकर एक बार निराला महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू से भी भिड़ गए थे। बापू पर निराला ने एक कविता भी लिखी थी। निराला ने अपनी खिन्नता को इतना विस्तार से लिखा था कि बापू के आलोचक आजतक इसका इस्तेमाल करते हैं। बापू ने एक हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में एक वक्तव्य दिया था। तब बापू ने कहा था कि हिन्दी में एक भी रवीन्द्रनाथ टैगोर नहीं हुआ। यह सुनते ही निराला नाराज़ हो गए और जब वे बापू से मिले तो उन्होने कहा “‘गांधी जी, आपको हिन्दी का क्या पता। उसको तो हम जानते हैं। आपने मेरी रचनाएं पढ़ी हैं?”
गांधीजी ने सम्मेलन में कहा था कि हिंदी बोलने वालों में रवीन्द्रनाथ कहां हैं? प्रफुल्लचन्द्र राय कहां हैं? जगदीश बोस कहां हैं? ऐसे और भी नाम मैं बता सकता हूं। बापू ने आगे कहा था कि मैं जानता हूं कि मेरे जैसे हजारों की इच्छा मात्र से ऐसे व्यक्ति थोड़े ही पैदा होने वाले हैं। लेकिन जिस भाषा को राष्ट्रभाषा बनना है, उसमें ऐसे महान व्यक्तियों के होने की आशा रखी ही जायेगी।
इसपर निराला ने कहा “आपके सभापति के अभिभाषण में हिंदी के साहित्य और साहित्यिकों के संबंध में, जहां तक मुझे स्मरण है, आपने एकाधिक बार पं बनारसीदास चतुर्वेदी का नाम सिर्फ़ लिया है। इसका हिंदी के साहित्यिकों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा, क्या आपने सोचा था?” इसपर बापू ने कहा की मैं तो हिंदी कुछ भी नहीं जानता। बापू की यह बात सुनते ही निराला नाराज़ हो गए और कहा कि तो आपको क्या अधिकार है कि आप कहें कि हिंदी में रवींद्रनाथ टैगोर कौन हैं?
राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर निराला एक बार नेहरू से भी भीड़ गए थे। रेलगाड़ी में बातचीत के दौरान नेहरू ने हिन्दी शब्द भण्डार पर कुछ छींटाकशी की तो निराला ने पूछ दिया- ‘क्या आप ‘ओउम्’ का अर्थ बता सकते हैं?’ तब नेहरू निरुत्तर रह गए थे।