हिमाचल प्रदेश में हुए उपचुनाव के परिणाम ने सुक्खू सरकार की चिंताओं को दूर कर दिया है। ऐसी उम्मीद लगाई जा रही थी कि यदि तीनों विधानसभा सीटें बीजेपी के खाते में चली जाती हैं तो सुक्खू सरकार की सांस अटकने लगेगी। क्योंकि विधानसभा का गणित भी बदल जाता।
68 सीटों वाली हिमाचल विधानसभा के लिए साल 2022 में चुनाव हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस के खाते में जहां 40 सीटें आईं थीं वहीं बीजेपी 25 सीट ही जीत पाई थी। उसके बाद की कमान कांग्रेस नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 6 विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी की जगह पर बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था।
विधायकों के बगावत के परिणाम स्वरूप सिंघवी चुनाव हार गए थे। इसके बाद हिमाचल के विधानसभा अध्यक्ष ने 6 बागी विधायकों पर कार्रवाई करते हुए उन सभी की सदस्यता रद्द कर दी थी। तभी से सुक्खू सरकार पर संकट बना हुआ था।
बीते लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य विधानसभा के उपचुनाव भी हुए। इन 6 सीटों में से कांग्रेस के खाते में 4 सीटें आए। यानी इस चुनाव से पहले कांग्रेस के पास 34 विधायक बचे हुए थे। बीजेपी के विधायकों की संख्या वहीं 25 की जगह 27 हो गई थी। इसके बाद एक बार फिर सियासत गर्म हुई जब तीन निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। अब इन तीन विधासभा उपचुनाव के बाद सुक्खू सरकार पूरी तरह से सुरक्षित हो गई है। क्योंकि तीन में से 2 विधानसभा पर कांग्रेस तो वहीं एक सीट बीजेपी के खाते में आई है।
इस उपचुनाव से पहले सुख्खू को लेकर को भी सवाल खड़े किए जा रहे थे। पार्टी ने देहरा विधानसभा उपचुनाव में सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाया था जहां उन्होंने जीत दर्ज करते हुए बार के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह को हरा दिया। हालांकि इस चुनाव में सुक्खू के गृह जनपद हमीरपुर उपचुनाव में बीजेपी जीत दर्ज करने में कामयाब रही। हमीरपुर से बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर सांसद हैं। यह ठाकुर का गढ़ माना जाता है। जहां सुक्खू सेंधमारी नहीं लगा पाए।