देश में राजमार्ग समेत अन्य क्षेत्रों में योजनाओं को लागू करके हादसों में कमी लाने वाली योजनाओं का पूरा पैसा सरकारी एजंसियां खर्च नहीं कर पा रहीं हैं। यह पैसा राजमार्ग पर दुर्घटना राहत सेवा योजना, असंगठित क्षेत्र के चालकों का प्रशिक्षण और मानव संसाधन, परिवहन प्रणाली में सुधार जैसे कार्यों के लिए किया जाना था। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जनता से संबंधित इन योजनाओं में केंद्र सरकार 170.36 करोड़ से ज्यादा की धनराशि खर्च नहीं कर पाई है।
केंद्र सरकार की ओर से यह धनराशि राज्यों को उपलब्ध कराई गई थी। आंकड़ों में चौंकाने वाली बात यह है कि सड़क सुरक्षा प्रचार और जागरूकता अभियान जैसी मदों में बीते तीन साल के अंदर कभी भी पूरा पैसा खर्च नहीं किया जा सकता है। इस मद में केंद्र सरकार वर्ष 2022-23 में 189.50 में से 68.67 करोड़, 2023- 24 में 130.10 में से 85.04 करोड़ और 2024 25 में 103.50 में से 99.20 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाई है।
हाइवे पर हादसों में कमी लाने वाली योजनाओं का बजट
हालांकि सरकारी एजंसियां खुद मानती है कि व्यापक प्रचार और लोगों को अधिक जागरूक करके ही सड़क दुर्घटना के आंकड़े में कमी लाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त दूसरा पहलू यह भी है कि देश में सार्वजनिक परिवहन की भी कमी है। सार्वजनिक परिवहन की संख्या बढ़ने से आम जनता अपने निजी वाहनों का प्रयोग कम कर सकती है। इसका दोहरा लाभ राज्यों को मिल सकता है। इसमें एक तरफ जहां मार्ग पर वाहनों की बढ़ती संख्या की वजह से भीषण जाम जैसी स्थिति से बचा जा सकेगा, वहीं यह आम जनता को प्रदूषण से भी राहत देगा। लेकिन, इस मद में भी आवंटित धनराशि में बीते दो साल से पूरा पैसा खर्च नही किया गया है।
Delhi: आवंटित राशि का आधा भी नहीं हुआ खर्च
शुरुआत वर्ष 2022 -23 में 15 करोड़ की राशि विभाग के पास थी और मंत्रालय की ओर से 30 करोड़ रुपए खर्च किए थे। जबकि अन्य दो वर्ष में विभाग सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में पैसा खर्च नहीं कर पाया। वर्ष 2023- 24 में 50.00 में से 38 करोड़ रुपए और 2024 25 में 38 में से 16.04 करोड़ रुपए रुपए ही खर्च हो पाए हैं।
