उच्च शिक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण संस्था भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का गठन लगातार अधर में लटक रहा है। संसद के 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में भी इसे पेश करना मुश्किल लग रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि उच्च शिक्षा आयोग से संबंधित विधेयक का मसविदा तैयार किया जा रहा है।
वहीं, लोकसभा की ओर से जारी बुलेटिन में सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले नए विधेयकों की सूची में उच्च शिक्षा आयोग विधेयक शामिल नहीं है। देश में उच्च शिक्षा के अंतर्गत तकनीकी, गैर तकनीकी और अध्यापक शिक्षा के लिए अलग-अलग नियामक हैं। तकनीकी शिक्षा के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, गैर तकनीकी शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अध्यापक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद मौजूद है।
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में नहीं दिख रहे आसार
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक एकल नियामक निकाय एचईसीआइ की परिकल्पना की गई है। इसका काम शिक्षा से जुड़े विनियमन, मान्यता, वित्त पोषण और शैक्षणिक मानकों को तय करना होगा। राजग सरकार के पिछले कार्यकाल में शिक्षा मंत्री रहे धर्मेंद्र प्रधान ने कई बार कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग से संबंधित विधेयक को संसद में जल्द पेश किया जाएगा। हालांकि, अब राजग के तीसरे कार्यकाल में भी शिक्षा मंत्रालय का भार धर्मेंद्र प्रधान पर ही लेकिन अभी भी इस विधेयक को संसद में पेश करने की कोई सूरत नहीं दिख रही है। लोकसभा की ओर से जारी बुलेटिन में बताया गया है कि सरकार मानसून सत्र में आठ नए विधेयक पेश करने जा रही है लेकिन इस सूची में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक शामिल नहीं है।
‘जनसत्ता’ की ओर से सूचना अधिकार कानून के तहत शिक्षा मंत्रालय से पूछा गया था कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के विधेयक का मसविदा किस स्तर पर है? इस सवाल के जवाब में बताया गया कि मंत्रालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रावधानों पर विचार करते हुए, भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग (एचईसीआइ) की स्थापना के लिए भारतीय उच्चतर शिक्षा आयोग विधेयक का मसविदा तैयार करने की प्रक्रिया में है।