भारत की आर्थिक विकास दर और जनता की माली हालत का कोई मेलजोल है? अगर आंकड़ों के हवाले से ही बात की जाए तो देश अथवा प्रदेश के विकास की रफ्तार का सामान्य जनता की निजी हालत और रोजगार में कोई सामंजस्य नहीं दिखाई देता। द स्क्रॉल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे तेजी से आर्थिक प्रगति करने वाले राज्य है। लेकिन, यहां का विकास आला बेहतर रोजगार सृजन करने के मामले में पीछे है। जबकि, गुजरात से कम विकास दर रखने वाले राज्य रोजगार के मामले में इससे बेहतर काम कर रहे हैं। वैसे देश में पिछले 6 सालों के दौरान बेरोजगारी दर 2.2 फीसदी से 6.1 फीसदी हो गई है। वैसे अगर ध्यान दें तो इन सभी में प्रमाणित डाटा की कमी हमेशा से रही है। क्योंकि, इसी के जरिए जीडीपी से लेकर नागरिक के व्यकितगत जीवन स्तर का मूल्यांकन किया जाता है।

आज की परिस्थिति में ‘जॉब क्वालिटी’ और ‘जॉब सिक्यॉरिटी’ को लेकर भी कोई सटिक आंकड़ा नही है। भारत में पहला विमर्श ही यही है कि अच्छे और बुरे जॉब की पहचान क्या है। अब सवाल उठता है कि इन सब बातों के संदर्भ में डाटा कहां से आता है और कौन मुहैया कराता है। इस संबंध में कई सारे सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाएं हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO), लेबर ब्यूरो, आरबीआई एवं पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे अपनी रिपोर्ट पब्लिश करते रहते हैं। गौरतलब है कि इनमें से भी हर किसी का डाटा वार्षिक रूप से अपडेट नही होता है। नौकरियों के संदर्भ में ही 8 साल के अंतराल पर सरकार ने 2010 से 2018 के बीच का आंकड़ा पेश किया।

राज्यों की स्थिति को रेखांकित करने के लिए भी कई स्तर पर रिपोर्ट्स तैयार होती हैं। इंडेक्स स्कोर के आधार पर ही विभिन्न प्रदेशों की रैंकिंग तैयार होती है। वर्तमान में 22 राज्यों के इंडेक्स स्कोर तैयार किया जाता है। जबकि, प्रॉपर डाटा नहीं होने की वजह से नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को इसमें शामिल नहीं किया जाता। 22 राज्यों में जिनकी ग्रोथ रेट राष्ट्र की औसत ग्रोथ रेट से अधिक है, वहां पर रोजगार का संकट खड़ा है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण गुजरात है। राज्य में गुणवत्ता प्रधान रोजगार की भी कमी है। रोजगार के संबंध में कई शैक्षणिक योग्यता भी कई स्तर पर जिम्मेदार है। मसलन, केरल में पढ़े लिखे लोगों के बेरोजगार रहने की संख्या काफी ज्यादा है। जबकि यहां पर प्रवासी मजदूरी की संख्या बेतहाशा रूप से बढ़ती जाती है। ऐसे में राज्य में मौजूद रोजगार और एजुकेटेड लोगों के बीच में सामांजस्य नहीं है।