देश में कोरोना महामारी को लेकर तीन दिनों से गुजरात के केवडिया में चल रहे स्वास्थ्य चिंतन शिविर का शनिवार (7 मई 2022) को आखिरी दिन था। चिंतन शिविर के समापन पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि तीन दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर के दौरान, हमने एक प्रस्ताव पारित किया कि हम WHO के कोविड की मृत्यु के अनुमानों पर विश्वास नहीं करते हैं। हम साल 1969 से कानूनी रूप से जन्म और मृत्यु का पंजीकरण कर रहे हैं।

इसके पहले शुक्रवार (6 मई 2022) को भारत सरकार ने भारत में कोरोना से हुई मौतों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। स्वास्थ्य शिविर में कई मंत्रियों ने कहा कि WHO ने बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण और तर्क के आधारहीन तरीके से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसमें जो आंकड़े दिए गए हैं वो सही नहीं है। WHO की रिपोर्ट भारत की छवि को खराब करने की कोशिश है। मंत्रियों ने कहा कि भारत में पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए कोरोना से होने वाली मौतों को व्यवस्थित तरीके से दर्ज किया जाता है।

WHO की रिपोर्ट खारिज: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में 14वें केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद में सम्मेलन में 20 राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने WHO की रिपोर्ट को खारिज करने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्री से देश की इस भावना से WHO को अवगत कराने और शीर्ष अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे उठाने का आग्रह किया।

सोशल मीडिया पर आलोचना: वहीं, दूसरी ओर मनसुख मांडविया के इस बयान पर सोशल मीडिया पर लोग जमकर आलोचना कर रहे हैं। धर्मेश दीक्षित (@theDDixit) नाम के एक यूजर ने सवाल उठाते हुए कहा, “न्यू ईयर रेजोल्यूशन नहीं है ये। 42 लाख अनरजिस्टर्ड मौतों का सवाल है वो भी WHO की तरफ से जिसके हेड प्यारे दोस्त तुलसी भाई हैं।” मोंक (@vibewithyogi) नाम के यूजर ने लिखा, “सच्चाई सिर्फ इसलिए नहीं बदलती क्योंकि यह वह नहीं है जो आप सुनना चाहते हैं।”

WHO की रिपोर्ट: गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में भारत में कोरोना महामारी से करीब 47 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाया था। डब्ल्यूएचओ की तरफ से गुरुवार (5 मई) को जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में जनवरी 2020 से लेकर दिसंबर 2021 के बीच करीब 47 लाख लोगों की मौत हुई, जो कि आधिकारिक तौर पर दिए गए आंकड़े से करीब दस गुना ज्यादा है।