‘HDFC बैंक को देश से प्यार नहीं है, वह इसके प्रति सम्मान नहीं रखता है।’ यह टिप्पणी की है सुप्रीम उपभोक्ता अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की है। कोर्ट ने कहा कि बैंक ने देश की प्रतिष्ठा को नजरअंदाज करते हुए विदेश में फंसे भारतीय जोड़े का डेबिट कार्ड एक्टिवेट नहीं किया।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (NCDRC) ने इस मामले में भारतीय जोड़े को 5 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर देने का निर्देश भी दिया है। आपको बता दें कि वर्ष 2008 में चंडीगढ़ के रहने वाले एडवाकेट मोहिंदरजीत सिंह सेठभ् और उनकी पत्नी राजमोहिनी सेठी थाईलैंड और सिंगापुर में 10 दिनों तक सिर्फ इसलिए फंसा रहा, क्योंकि बैंक ने उनका डेबिट कार्ड एक्टिवेट नहीं किया।
इस केस की सुनवाई कर रही खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे जस्टिस जेएम मलिक ने कहा, ‘बैंक को भारत के प्रति कोई प्यार और सम्मान नहीं है। यह जानने के बाद कि भारतीय विदेश में फंसे हुए हैं, बैंक को तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए थी।’ कोर्ट ने जिला उपभोक्ता अदालत के फैसले का समर्थन करते हुए मुआवजे की राशि 50 हजार से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि बैंक आरोपी ब्रांच मैनेजर राजिंदर पाठेजा की सैलरी से मुआवजे की राशि काटकर पीडि़त पति-पत्नी को दे सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।