हाथरस में भगदड़ की वजह से 121 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी, उसमें भोले बाबा की भूमिका भी संदिग्ध मानी गई। अब उसी बाबा की तरफ से एक बयान आ गया है। उसने कहा है कि होनी को कौन टाल सकता है, एक दिन सबको जाना है। भोले बाबा का तो यहां तक कहना है कि सत्संग के दिन साजिश हुई थी, उसी वजह से इतने लोगों की मौत हो गई।
आखिर हुआ क्या था?
बड़ी बात यह है कि इससे पहले तक जब भी भोले बाबा ने बयान दिया था, उन्होंने बस हादसे को लेकर संवेदना व्यक्त की थी। लेकिन अब तो खुलकर उनकी तरफ से बयानबाजी हो रही है। उनका कहना है कि होनी को कौन टाल सकता है कई लोगों को रास नहीं आ रहा है, इसे असंवेदनशील माना जा रहा है। हाथरस हादसे की बात करें तो इसमें 121 लोगों की जान चली गई थी।
असल में लोग गए तो सत्संग सुनने थे, लेकिन वहां पर बाबा की पैरों की धूल छूने को लेकर ऐसी होड़ मची कि हर कोई एक दूसरे पर गिर गया। उस वजह से ही भगदड़ हुई और 121 लोगों की दर्दनाक मौत देखने को मिली। हादसे के बाद जांच कमेटी बना दी गई है, अभी भी तफ्तीश की जा रही है, लेकिन बाबा के खिलाफ कोई एक्शन देखने को नहीं मिला है। उसके करीबियों को जरूर पकड़ा गया है, लेकिन बाबा को लेकर चुप्पी चल रही है।
बाबा इतने भी भोले नहीं
वैसे हाथरस वाले बाबा को लेकर कई ऐसी जानकारियां भी सामने आई हैं जिस वजह से उन पर सवाल उठ रहे हैं। असल में बाबा के आश्रम को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ था। एनडीटीवी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक बाबा भोले ने अपने आश्रम में एक गुप्त कमरा रखा हुआ है जहां पर सिर्फ सात लोगों को ही जाने की इजाजत होती है। इन सात लोगों में सेवादार और कुछ महिलाएं शामिल हैं। बताया जा रहा है कि यह सारे वो लोग हैं शुरुआत से ही नारायण हरि साकार के साथ जुड़े रहे हैं, कोई भी दूसरा शख्स यहां जा नहीं सकता है।
हैरानी की बात यह है कि बाबा को पूरे समय अपनी जान का खतरा लगा रहता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि वे रात आठ बजे के किसी से मुलाकात नहीं करते। कुल तीन तरह की सेना चौबीस घंटे उनकी सुरक्षा में लगी रहती हैं, उनके नाम हैं- नारायणी सेना, गरुड़ योद्धा और हरि वाहक। इन सभी सेनाओं को अलग ड्रेस कोड दिया गया है और इनके अपने कोड वर्ड भी होते हैं। नारायणी सेना के कुल 50, हरि वाहक के 25 और गरुड़ योद्धा के 20 जवान बाबा के साथ रहते हैं।