Haryana Vidhan Sabha Election/Chunav Results 2019: जैसे-जैसे चुनावी रुझानों और नतीजों की स्थिति स्पष्ट होती जा रही है, वैसे-वैसे बीजेपी सरकार की वापसी की स्थिति धुंधली होती जा रही है। उधर, कांग्रेस खेमे में इस बात की खुशी है कि बीजेपी को जनता ने स्पष्ट बहुमत नहीं दिया है। कांग्रेस 2014 के चुनावों के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा सीटें जीतती दिख रही है। संभावना इस बात की भी है कि जननायक जनता पार्टी के सहयोग से राज्य में फिर से कांग्रेस सरकार बना सकती है। चुनावी रुझानों के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद कह चुके हैं कि राज्य में अगली सरकार कांग्रेस की बनने जा रही है और हुड्डा कांग्रेस पार्टी में सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार हैं।
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मगर बीजेपी के अंदरूनी सूत्र ताजा रूझानों से दो कदम आगे बढ़कर कह रहे हैं कि सरकार बचाने के लिए पार्टी को मात्र चार विधायकों की ही जरूरत पड़ेगी। यह भी कहा जा रहा है कि चार विधायकों का जुगाड़ करना बीजेपी के लिए कोई टेढ़ी खीर नहीं है। उधर, कांग्रेस नेता दीपेंदर सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया है कि बीजेपी अभी से ही निर्दलीयों पर डोरा डालने लगी है। उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए हेलिकॉप्टर भेज रही है और उन्हें खरीदने की कोशिश कर रही है। अगर ऐसा होता है तो हुड्डा बीजेपी के इस दांव से मात खा सकते हैं।

हालांकि, हुड्डा के लिए सिर्फ बीजेपी ही संकट पैदा करने वाली नहीं है। कांग्रेस के अंदर भी कई चेहरे हैं जो चाहते हैं कि हुड्डा सीएम न बन सकें। हालांकि, पार्टी ने उन्हें ही आगे रखकर हरियाणा विधान सभा का चुनाव लड़ा था। चुनावों से ऐन पहले भितरघात से जूझ रही पार्टी ने हुड्डा को राज्य चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया गया था जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था।

भूपेंद्र हुड्डा के घोर विरोधी रहे अशोक तंवर को पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था। चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर थी। हर बिरादरी के लोग खुद को सीएम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करते रहे हैं। कहा जाता रहा है कि राज्य कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए पांच चेहरे मैदान में थे। इनमें से अशोक तंवर की पहले ही छुट्टी हो चुकी है। दूसरे चर्चित चेहरे जिनका नाम दौड़ रहा था, वो हैं रणदीप सिंह सुरजेवाला, जो खुद कैथल से विधायक थे लेकिन इस बार अपनी सीट नहीं बचा पाए।

हुड्डा के लिए इन दो चेहरों के रास्ते से हटने के बाद थोड़ा सुकून जरूर मिला होगा लेकिन तीसरा मजबूत चेहरा प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा का है, जो महिला, युवा और दलित चेहरे हैं। इनके अलावा अजय यादव भी एक दावेदार माने जाते रहे हैं। मगर मौजूदा परिस्थितियों में अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो हुड्डा और कुमारी सैलजा में सीएम पद को लेकर संघर्ष हो सकता है।

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