प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 अक्टूबर को हरियाणा के रोहतक जिले में किसान नेता सर छोटूराम की 64 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। उनकी रैली के दौरान पीएमओ इंडिया के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया था। पीएमओ की ओर से किए गए ट्वीट में पीएम मोदी का बयान लिखा गया था। इसमें लिखा था, ‘ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे किसानों की आवाज, जाटों के मसीहा, रहबर-ए-आजम दीनबंधु सर छोटूराम जी की इतनी भव्य प्रतिमा का अनावरण करने का अवसर मिला।’
पीएम मोदी का ट्वीट सामने आते ही विवाद शुरू हो गया। उनपर जातिगत राजनीति का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना शुरू हो गई। विवाद के ज्यादा बढ़ने पर पीएमओ को यह ट्वीट हटना पड़ा। हरियाणा में उनके इस बयान पर काफी बहस हुई और लोगों ने पीएम पर जातिवाद फैलाने तक के आरोप लगा दिए थे। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों की राय इससे अलग है। इनका मानना है कि पीएम मोदी ने जाट का नाम लेकर बीजेपी से नाराज चल रही इस जाति को अपनी ओर खींचने की कोशिश की थी।
आदरणीय मोदी जी,
अब @PMOIndia ने अपना ट्वीट हटा लिया।
पर जाति-धर्म के बँटवारे पर वोट बैंक की राजनीति करने वाली अपनी मानसिकता को एक ट्वीट मिटा कर छुपा नहीं सकते।
रोज़ आपके अन्याय से त्रस्त किसान अब जाति के जुमलों से नहीं बहकने वाला। आप हरियाणा और देश के किसानों से माफ़ी माँगिये। https://t.co/ipYo1ryhZ3
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 10, 2018
छोटूराम का कद छोटा करने का आरोप: जाट समुदाय के नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी ने सर छोटूराम को ‘जाटों का मसीहा’ बताकर उनके कद को छोटा करने जैसा है। छोटूराम किसी खास जाति या वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। जाट नेताओं का मानना है कि छोटूराम सिर्फ जाटों के नहीं, बल्कि कामगारों के मसीहा थे। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसको लेकर पीएम मोदी को आड़े हाथ लिया था। उन्होंने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री जी, इस ट्वीट में आपने दीनबंधु रहबरे आजम सर छोटूराम को जाति के बंधन में बांधपने की कोशिश की है। यह आपकी संकीर्ण वोट बैंक की राजनीति का जीता-जागता सबूत है जो जाति-धर्म के विभाजन से बाहर नहीं आती।’ विभिन्न तबकों के बीच मोदी के इस बयान की तीखी आलोचना होने के बाद आखिरकार पीएमओ को यह ट्वीट डिलीट करना पड़ा। बता दें कि अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में चुनावी राजनीति गरमा गई है। इस बीच, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं।