इस दुनिया में कई लोगों की ख्वाहिश ‘कुछ हटकर’ करने की होती है। यदि आप मन से सोच लें कि आपको कुछ अलग करना है तो इसमें उम्र तो कतई बाधा नहीं बन सकती है। इस बात को सही साबित कर दिखाया है हरियाणा के सरकारी स्कूल में चपरासी का काम करने वाले कूड़ेराम ने।
कूड़ेराम ने ‘कुछ हटके’ करने की अपनी इस ख्वाहिश अपनी नौकरी के अंतिम दिन पूरा किया। रिटायरमेंट के बाद कूड़ेराम हेलीकॉप्टर पर बैठक स्कूल से अपने घर गए। अपनी इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उन्होंने 2 किलोमीटर के सफर को पूरा करने के लिए 3.50 लाख रुपये खर्च किए। इसमें हेलीकॉप्टर का किराया और हेलीपैड बनाने का खर्च भी शामिल है।
60 साल के कूड़ेराम फरीबाद के नीमका गांव के स्कूल में चपरासी के रूप में कार्यरत थे। मंगलवार को उनकी नौकरी का अंतिम दिन था। फेयरवेल के बाद उन्होंने स्कूल से अपने गांव सदपुरा के लिए हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी। कूड़ेराम जैसे ही हेलीकॉप्टर से अपने गांव पहुंचे तो वहां बिल्कुल उत्साह का माहौल बन गया।
गांव वालों ने पूरी गर्मजोशी के साथ कूड़ेराम का स्वागत किया। इसके लिए गांव में एक अस्थायी हेलीपैड भी बनाया गया था। इंडियन एक्सप्रेस से बुधवार को बातचीत में कूड़ेराम ने बताया, ‘मैंने 40 साल एक ही स्कूल में नौकरी की। जब मेरा रिटायरमेंट करीब आया तो मुझे अहसास हुआ कि भले ही मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूं लेकिन मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया जो अलग हो।
इसलिए मैंने सोचा कि कुछ हटके किया जाए।’ कूड़ेराम ने कहा, ‘मैं या मेरा परिवार कभी हवाईजहाज या हेलीकॉप्टर में नहीं बैठा था। इस क्षेत्र को ऊपर से देखने की बात पहली बार मेरे मन में आई। मैंने सोचा कि यह अनुभव हासिल करने का यह अच्छा मौका है।’ कूड़ेराम के पिता मजदूर थे। वह अपने दो भाई में बड़े हैं।
उन्होंने सरकारी स्कूल से 10वीं की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपने पिता के साथ मजदूरी शुरू कर दी। साल 1979 में नीमका सरकारी स्कूल में उनकी नौकरी चपरासी के रूप में लगी। सदपुरा गांव के सरपंच और उनके छोटे भाई शिवकुमार ने कहा, ‘उसने हमेशा कड़ी मेहनत की। जब उसकी नौकरी लगी तो उसने पिताजी का बोझ कम करने के लिए मेरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली और मेरी पढ़ाई पूरी करने में मदद की।’ स्थानीय लोगों के बीच हेलीकॉप्टर से आना लोगों को लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।