राजधानी दिल्ली में फरवरी में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस की तरफ से दाखिल चार्जशीट में पूर्व आईएएस और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर का नाम भी शामिल है। उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और न्यायपालिका के बारे में अवमानना भरी बातें कहने का आरोप है। चार्जशीट में हर्ष मंदर का नाम होने को लेकर वरिष्ठ इतिहासकार रामचंद्र गुहा भड़क गए हैं। उनका कहना है कि भारतीय लोकतंत्र डार्क होल में जा रहा है।

रामचंद्र गुहा ने एक लेख लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है, क्या आप उनके भाषण में हिंसा का कोई उदाहरण देखते हैं? आप इसे नहीं खोज सकते, लेकिन दिल्ली पुलिस का मानना ​​है कि यह हिंसा को भड़काने की साजिश को दर्शाता है। वे चाहते हैं कि हम यह मानें कि यह शांति की भाषा में हिंसा है। उन्होंने लिखा है,उन्होंंने अपने लेख कि शुरुआत सवालों के साथ की है, उन्होंने लिखा है,  “हमारे देश का भविष्य कैसा दिखता है? आप आज के युवा हैं। आप अपने बच्चों के लिए किस तरह का देश छोड़ना चाहेंगे? यह फैसला कहां लिया जाएगा, यह सड़कों पर होगा। हम आज सड़कों पर हैं। लेकिन सड़कों से परे एक और जगह है जहां यह तय किया जाएगा। वह कौन सा स्थान है जहाँ इस प्रश्न पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा? यह हमारे दिलों में है। हमें जवाब देना होगा। वे नफरत से हमारे दिलों को मारना चाहते हैं। अगर हम नफरत से जवाब देंगे, तो नफरत और गहरी होगी।

दरअसल, हर्ष मंदर पर आरोप है कि उन्होंने पिछले साल 16 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इसलामिया के छात्रों के सामने भड़काऊं भाषण दिया था। वहीं इन आरोपों पर हर्ष मंदर के वकील दुष्यंत दवे का कहना है कि  भाषण के जिस आधार पर कार्रवाई शुरू हुई है। वह  कोर्ट के सामने गलत तरीके से पेश की गई है। उनका कहना है कि मंदर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जिसके चलते सरकार उनपर निशाना साध रही है।

बता दें कि हर्ष मंदर पूर्व आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। वह साल 2002 में गुजरात दंगे से आहत होकर अपनी नौकरी से इस्तीफा दे चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान वह राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी रहे हैं।