भारत के संविधान निर्माता और चिंतक, समाज सुधारक डॉ.भीमराव अंबेडकर की रविवार (14 अप्रैल, 2019) को 128वीं जयंती थी। बाबा साहब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव देखने वाले अंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई शुरू की थी। स्कूल में उन्हें काफी भेदभाव झेलना पड़ा था।
1907 में उन्होंने मैट्रिक पास की और फिर 1908 में उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया। इस कॉलेज में प्रवेश लेने वाले वे पहले दलित छात्र थे। 1912 में उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स व पॉलिटिकल साइंस से डिग्री ली।
दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए बाबा साहेब अंबेडकर ने बहिष्कृत भारत, मूक नायक और जनता नामक साप्ताहिक और मासिक पत्र निकालने शुरु किए। 1927 से उन्होंने छुआछूत जातिवाद के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया। आंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया। दलित समाज के उत्थान और उन्हें जागरुक करने में डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान अतुल्य है।
अंबेडकर जयंती पर बाबा साहब की प्रतिमा के आगे रविवार को जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक चुनावी रैली के दौरान उन्हें नमन करते हुए पीएम मोदी। (फोटोः पीटीआई)
जो ऊंच नीच को मानता है,
मैं उन्हें इंसान नहीं मानता।
जो बाबा साहब को नहीं मानता,
मैं उसे भारतीय नहीं मानता।
नींद अपनी खोकर
जगाया हमको,
आंसू अपने गिराकर
हंसाया हमको,
कभी मत भूलना उस
महान इंसान को,
जमाना कहता है
अंबेडकर 'जिनको जय भीम'
फूलों की कहानी बहारों ने लिखी,
रातों की कहानी सितारों ने लिखी।
हम नहीं है किसी के गुलाम,
क्योंकि हमारी जिंदगानी, बाबासाहब ने लिखी।
दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए बाबा साहेब अंबेडकर ने बहिष्कृत भारत, मूक नायक और जनता नामक साप्ताहिक और मासिक पत्र निकालने शुरु किए। 1927 से उन्होंने छुआछूत जातिवाद के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया। आंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया। दलित समाज के उत्थान और उन्हें जागरुक करने में डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान अतुल्य है।
आजादी के बाद संविधान बनाते वक्त डॉ. भीमराव अंबेडकर को मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वह भारत सरकार में कानून मंत्री भी रहे। संसद में अपने हिन्दू कोड बिल मसौदे को रोके जाने के बाद अंबेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी। 14 अक्टूबर, 1956 को अंबेडकर और उनके समर्थकों ने बौद्ध धर्म अपना लिया था। 6 दिसंबर, 1956 को डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन हुआ। साल 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
अंबेडकर का असल नाम अंबावाडेकर था। यही नाम उनके पिता ने स्कूल में दर्ज भी कराया था। लेकिन उनके एक अध्यापक ने उनका नाम बदलकर अपना सरनेम 'अंबेडकर' उन्हें दे दिया। इस तरह स्कूल रिकॉर्ड में उनका नाम अंबेडकर दर्ज हुआ।
“जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है” – डॉ॰ भीमराव आंबेडकर
1. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
2. समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।
3. यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।
इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो।
मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते,कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिये बेमानी है।
A great man is different from an eminent
one in that he is ready
to be the servant of the society
A great man is different from an eminent.
नींद अपनी खोकर जगाया हमको
आँसू अपने गिराकर हँसाया हमको
कभी मत भूलना उस महान इंसान को
जमाना कहता हैं “बाबासाहेब आंबेडकर” जिनको
आंबेडकर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं