केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली से सटे बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन पिछले कई हफ्तों से जारी है। इसी बीच इन क़ानूनों के विरोश में एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के अध्यक्ष व सांसद हनुमान बेनीवाल ने ससंद की तीन समितियों की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

हनुमान बेनीवाल ने कृषि कानूनों का विरोश करते हुए अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा है। बेनीवाल ने कहा “निश्चित रूप से तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जी से हमने अपील भी की है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) गठबंधन में होने के नाते मैंने पत्र भी लिखा कि अगर आप इन्हें वापिस नहीं लेंगे तो हम NDA के समर्थन पर पुनर्विचार करेंगे।’

बेनीवाल ने कहा कि 26 दिसंबर को वह दो लाख किसानों के साथ दिल्ली की ओर कूच करेंगे तथा एनडीए में बने रहने के बारे में भी फैसला उसी दिन होगा। बिरला को भेजे पत्र में बेनीवाल ने संसद की उद्योग संबंधी स्थायी समिति, याचिका समिति व पेट्रोलियम व गैस मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति से इस्तीफा देने बात की है।

बेनीवाल के अनुसार उन्होंने सदस्य के रूप में जनहित से जुड़े अनेक मामलों को उठाया, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए वह किसान आंदोलन के समर्थन में व लोकहित के मुद्दों को लेकर संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से त्याग पत्र दे रहे हैं। बेनीवाल ने यहां आरएलपी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के बाद यह घोषणा की।


इसके अलावा उन्होंने अपने इस्तीफा पत्र में एक सीमेंट कंपनी को गलत तथ्य के आधार पर पर्यावरण स्वीकृति देने और राजस्थान से निकलने वाले कच्चे तेल से राज्य को मिलने वाली रॉयल्टी से राजस्थान को वंचित रखने पर भी नाराजगी जताई। उन्होने बताया कि इन दोनों ही मुद्दों को मैंने समितियों के समक्ष रखा, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही अब तक नहीं हुई. ऐसे में मेरा मानना है कि इन समितियों का कोई औचित्य नहीं हैं।