ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जिला अदालत के फैसले के बाद से समाज का एक वर्ग कुछ नाराज चल रहा है। जब से हिंदू पक्ष को व्यास जी तहखाने में पूजा का अधिकार दिया गया है, मुस्लिम समाज से कई लोग खुलकर इसका विरोध कर रहे हैं। अब इसी कड़ी में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से भी उस फैसले का विरोध किया गया है। यहां तक कहा गया है कि ऐसे फैसलों की वजह से अदालत पर भरोसा कम हुआ है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सैफुल्लाह रहमानी ने जोर देकर बोला कि अदालतें अब ऐसे चल रही हैं, जिस वजह से भरोसा टूट रहा है। कोर्ट ने जो वाकया पेश किया, वो दुख देता है। 20 करोड़ मुसलमानों को इससे धक्का पहुंचा है। जो हिंदू-सिख भी मानते हैं कि ये देश मजहब का गुलदस्ता है, उन्हें भी इस फैसले से धक्का लगा है। रहमानी ने अपने बयान में यहां तक कहा कि अगर जबरन कब्जा किया जाता तो क्या इतने मंदिर मौजूद होते।
उनके मुताबिक अंग्रेजों ने ही इस देश को बांटने का काम किया था। उन्होंने जब देखा कि हिंदू-मुस्लिम सब एकजुट हैं, उन्होंने नफरत की दीवारें खड़ी कर दीं। अब जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले बी वाराणसी की जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को राहत देते हुए व्यास जी तहखाने में पूजा का अधिकार दिया था। उस फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां पर अदालत ने हाई कोर्ट जाने के लिए कह दिया।
इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी। हाईकोर्ट में मस्जिद कमेटी की ओर से पूजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस पर कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया।
