Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मामले में एएसआई सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद हिंदू पक्ष ने इस मामले में केंद्र सरकार से पहल करने की मांग की है। हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि अभी एएसआई रिपोर्ट का पूरा अध्ययन किया जाएगा। हमें कानून के हिसाब से चलना है। अयोध्या मामले में हमारा 30-40 साल का अनुभव है। जल्दी में केस खराब होता है। हालांकि इसमें देरी भी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वाराणसी में भव्य मंदिर बनना चाहिए और वह बन जाएगा। अयोध्या में भी बना और यहां भी बन जाएगा। मैं चाहता हूं कि केंद्र सरकार को इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर कानून बनानकर पूरी जगह हिंदुओं को सौंप दी जाए। अब यह साबित हो गया है कि यहां मंदिर था। यह राष्ट्रीय संपत्ति बनाई जाए। जैसे अयोध्या में ट्रस्ट काम कर रहा है वैसी ही यहां भी बनाकर पूजा पाठ का काम शुरु किया जाएगा।

ओवैसी ने साधा निशाना

ज्ञानवापी मामले में एएसआई सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एएसआई को हिंदुत्व के हाथों की कठपुतली बता दिया। ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि यह पेशेवर पुरातत्वविदों या इतिहासकारों के किसी भी समूह के सामने अकादमिक जांच में टिक नहीं पाएगा। रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मजाक उड़ाया गया है। जैसा कि एक महान विद्वान ने एक बार कहा था, एएसआई हिंदुत्व के हाथों की कठपुतली है।

हिंदू पक्ष ने क्या किया दावा

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई रिपोर्ट से संकेत मिले हैं कि जिस जगह पर ज्ञानवापी मस्जिद बनी है वहां पहले हिंदू मंदिर था। एएसआई की 839 पेज की रिपोर्ट सामने आई है। जैन ने दावा किया है कि सर्वे के दौरान दो तहखानों में हिंदू देवताओं की मूर्तियों के अवशेष भी मिले हैं। विष्णु जैन ने एएसआई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 17वीं शताब्दी में ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से पहले उस स्थान पर एक हिंदू मंदिर मौजूद था। उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिलर्स और प्लास्टर को थोड़े से बदलाव के साथ मस्जिद के लिए फिर से इस्तेमाल किया गया है। हिंदू मंदिर के खंभों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया।

विष्णु जैन ने कहा कि पिलर के नक्काशियों को मिटाने की कोशिश की गई। इस मंदिर का इस मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष था और कम से कम एक कक्ष क्रमशः उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में था। पहले से मौजूद संरचना के सजाए गए मेहराबों के निचले सिरों पर उकेरी गई जानवरों की आकृतियों को खराब कर दिया गया था और गुंबद के अंदरूनी हिस्से को दूसरे डिजाइनों से सजाया गया है। सर्वे के दौरान मौजूदा और पहले से मौजूद संरचनाओं पर कई शिलालेख देखे गए। वर्तमान सर्वेक्षण के दौरान कुल 34 शिलालेख दर्ज किए गए और 32 शिलालेख लिए गए।