गीतकार गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को इस साल ज्ञानपीठ पुरुस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। ज्ञानपीठ चयन समिति द्वारा दोनों ही हस्तियों को इस बार के लिए पुरस्कार के लिए नामित कर दिया गया है। अब एक तरफ गुलजार बॉलीवुड के मशहूर गीतकार हैं तो वहीं जगद्गुरु रामभद्राचार्य चर्चित कथावाचक हैं।
अब जिस सम्मान से इन दो महान हस्तियों को पुरुस्कृित किया जा रहा है, वो कई साल पुराना है। 1961 में कई भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए ज्ञानपीठ अवॉर्ड की शुरुआत की गई थी। भाषा के क्षेत्र में इस अवॉर्ड काफी मान्यता है और सिर्फ सर्वश्रष्ठ लोगों को ही इससे नवाजा जाता है।
अब इस बार चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य को ये सम्मान इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि भाषा का उन्हें अपार ज्ञान है। बताया जाता है कि वे 22 से ज्यादा भाषाओं को अच्छी तरह समझ सकते हैं, वहीं 100 से ज्यादा किताबें भी लिख चुके हैं। संस्कृत भाषा पर भी उनकी पकड़ गजब की है और कई ग्रंथ उन्होंने ट्रांसलेट किए हैं। साल 2015 में उन्हें पद्म विभूषण से भी नवाजा जा चुका है।
गुलजार की बात करें तो उन्होंने भी फिल्म इंडस्ट्री और संगीत के क्षेत्र में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है। उन्हें बतौर फिल्म निर्देशक, गीतकार, संवाद और पटकथा लेखक के रूप में पहचान मिली हुई है। साल 2007 की फिल्म स्लमडॉग मिलिनेयर के गाने ‘जय हो’ के लिए उन्हें ऑस्कर भी मिल चुका है। उन्हें मौसम, आंधी, नमकीन और कोशिश जैसी फिल्मों की वजह से भी जबरदस्त लोकप्रियता मिली है।