पत्रकार राणा अय्यूब की ओर से राजनीतिक दबाव गुजरात दंगों की स्टोरी न छापने पर तहलका मैगजीन की पूर्व मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी ने जवाब दिया है। शोमा ने कहा कि अय्यूब की ओर से राजनीतिक दबाव में खबर न छापने की बात कहना पूरी तरह से भटकाने वाला है। गौरतलब है कि शुक्रवार को अपनी किताब ‘गुजरात फाइल्‍स’ के लॉन्‍च के मौके पर राणा अय्यूब ने कहा था कि उन्‍होंने गुजरात दंगों पर स्टिंग ऑपरेशन किया था लेकिन तहलका ने राजनीतिक कारणों का हवाला देते हुए छापने से इनकार कर दिया।

शोमा चौधरी ने लिखा, ”राणा अय्यूब की ओर से तरुण तेजपाल पर लगाए गए विशेष आरोपों को उन्‍हीं के जवाब के लिए छोड़ती हूं। लेकिन उस समय तहलका की मैनेजिंग एडिटर होने के नाते मुझे तहलका के सरकार के दबाव में होने की बात पूरी तरह से भटकाने वाली लगी। गुजरात पर तहलका ने कर्इ मजबूत और तल्‍ख खबरें छापी थीं। ऐसा ट्रैक रिकॉर्ड मोदी से डरने वाली मैगजीन का तो नहीं हो सकता। क्‍योंकि एक बार तो यह बंद भी हो गई थी।”

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शोमा ने लिखा, ”राणा अय्यूब के स्टिंग ऑपरेशन की स्‍टोरी तहलका में न छापने का कारण साधारण सा था कि वह संपादकीय स्‍टैंडर्ड पर खरा नहीं उतरती थी। उस स्‍टोरी के कुछ हिस्‍से अच्‍छे थे लेकिन उसमें कई लूप होल थे और खबर बनाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई उसको लेकर गंभीर सवाल थे। राणा एक साहसी रिपोर्टर है और उनके काम का सम्‍मान करते हुए मैं उन सवालों को सार्वजनिक नहीं करना चाहती। हालांकि उनके बारे में राणा से कई बार विस्‍तार से चर्चा हुई थी। राणा उन सवालों को वैध मानती प्रतीत हुई थी क्‍योंकि नौकरी छोड़ने के बजाय उन्‍होंने सालों तक तहलका में नौकरी की थी। साथ ही तहलका ने भी गुजरात और मोदी पर तल्‍ख खबरें छापी थीं।”

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चौधरी ने आगे लिखा, ”जब मैंने तहलका छोड़कर कैच न्‍यूज की शुरुआत की थी तब भी राणा ने फिर से मेरे साथ काम करने की इच्‍छा जताई थी। इन सबको ध्‍यान में रखते हुए उनका यह कहना कि उन्‍हें बलि का बकरा बनाया गया और उनकी स्‍टोरी को राजनीतिक दबाव के कारण रोका गया, सच्‍चाई से परे है। रिपोर्टर अपनी स्‍टोरिज को लेकर एडिटर से असहमत हो सकते हैं लेकिन जब वे कड़े एडिटोरियल निर्णयों पर गलत उद्देश्‍य का आरोप लगाते हैं तो यह दुर्भाग्यजनक है।”

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