सरकार द्वारा सांसदों को हर साल अपने क्षेत्र में विकास कार्य करने के लिए 5 करोड़ रुपए का फंड आवंटित किया जाता है। इस तरह सांसदों को पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान सांसद निधि (Member of Parliament Local Area Development Scheme(MPLAD)) में 25 करोड़ रुपए मिलते हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि कई बार सांसद सरकार द्वारा मिले फंड को भी पूरी तरह से खर्च नहीं कर पाते। शुक्रवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ताजा रिपोर्ट इसी ओर इशारा करती है। एडीआर की इस रिपोर्ट में गुजरात के 26 सांसदों की सांसद निधि का ब्यौरा दिया गया है, जिसके अनुसार, गुजरात के ये 26 सांसद सरकार द्वारा आवंटित फंड में से 54 करोड़ रुपए खर्च भी नहीं कर पाए। गुजरात के राजकोट से भाजपा सांसद मोहन कुंदरिया इस मामले में सबसे आगे हैं और वह सांसद निधि में से 5.31 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं कर पाए।
इनके बाद नाम आता है कच्छ से भाजपा सांसद विनोद चावड़ा और पोरबंदर से भाजपा सांसद विट्ठल रडाडिया का। दोनों ही सांसद आवंटित फंड में से क्रमशः 5.21 करोड़ और 5.09 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाए। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में भाजपा सांसदों द्वारा सांसद निधि का इस्तेमाल सड़के, फुटपाथ और पुल आदि बनवाने में किया गया है। इसके साथ ही पीने का साफ पानी, बिजली की व्यवस्था, सिंचाई आदि के काम भी सांसदों की प्राथमिकता में थे। गांधीनगर से मौजूदा भाजपा सांसद लालकृष्ण आडवाणी ने सांसद निधि से हैंडपंप्स, शिक्षण संस्थानों का निर्माण, बाढ़ से बचाव के उपाय और मिड-डे मील योजना के लिए रसोईघर आदि का निर्माण कराया। हालांकि आडवाणी भी आवंटित फंड में से 2.36 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर सके।
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इसी तरह अहमदाबाद पूर्व से भाजपा सांसद परेश रावल ने सांसद निधि से बच्चों के लिए क्रेच बनवाने और आंगनवाड़ी महिलाओं, सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर्स और विभिन्न आवासीय इमारतों की चारदीवारी जैसे काम कराए। परेश रावल भी पूरी रकम खर्च नहीं कर पाए और उनकी सांसद निधि में भी 3.71 करोड़ रुपए बच गए हैं। भाजपा के कुछ सांसदों द्वारा सरकारी फंड पानी के टैंकों और तालाबों की सफाई में इस्तेमाल किया गया है, तो कुछ सांसदों ने कसरत आदि का सामान खरीदने और रेलवे स्टेशनों पर एस्कलेटर आदि के निर्माण में खर्च किए हैं।

