केरल के वायनाड में भारी बारिश के बाद तबाही का आलम है। ऐसे में याद किया जा रहा है मलयालम कैलेंडर (कोल्लम युग) का साल 1099 या फिर इसे ग्रेगोरियन कैलेंडर में 1924 कह दीजिए, जब लोग बारिश के सुहाने मौसम की खुशी मना रहे थे, तब ऐसी ही आपदा ने हर तरफ भयानक हालात बना दिए थे।
एक ऐसी बाढ़ जिसे इतिहासकार मनु पिल्लई की किताब ‘The Ivory throne: Chronicles of the House of Travancore’ (2016) में ‘ग्रेट फ्लड ऑफ 99’ लिखा गया है। जब ऐसा लग रहा था जैसे कयामत आ गई हो, आसमान फट रहा हो।
‘ग्रेट फ्लड ऑफ 99’
यह एक ऐसी बाढ़ थी जिसे देखने वाले लोग कभी उसके दृश्य नहीं भूल पाए। इस बाढ़ का सबसे ज़्यादा असर त्रावणकोर पर था। यह शहर केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम से करीब 180 किमी की दूरी पर स्थित है।
इतिहासकार मीनू जैकब ने ‘ग्रेट फ्लड ऑफ 99’ को लेकर अपने एक लेख ( 1924 flood of Travancore: A literary representation’ 2016) में यह जानकारी दी है। इस बाढ़ से त्रिचूर, एर्नाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम और मुन्नार तक जाने वाली सड़क भी प्रभावित हुई। ये वही क्षेत्र हैं जो इस साल की बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। तब लगभग 650 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। इतिहास में दर्ज किया गया है कि बारिश इतनी ज़्यादा थी कि हज़ारों लोगों की जान और संपत्ति चली गई।
इस बाढ़ का मंजर देखने वाले लोग कहते हैं कि उखड़े हुए पेड़, छप्पर वाले घरों की छतें और अन्य सामान और शव जो नदी में बहकर आए, उनकी संख्या अनगिनत थी। बड़ा नुकसान यह हुआ कि मुन्नार के पास कुंडला घाटी रेलवे, जिसे दक्षिण भारत में पहली मोनोरेल प्रणाली के रूप में जाना जाता है पूरी तरह खत्म हो गई और फिर कभी बन नहीं पाई।

बचाव और मुस्तैदी
जब बाढ़ का भयानक रूप दिखाई देने लगा तो त्रावणकोर सरकार ने राहत कार्य शुरू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तुरंत एक कमेटी बनाई गई। मद्रास प्रेसीडेंसी द्वारा नियुक्त एक सिविल सेवक देवन टी. राघवैया ने राहत कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में मदद भेजी।
लिखा गया, “अगस्त की शुरुआत तक, हजारों शरणार्थियों और विस्थापित परिवारों को विभिन्न राहत केंद्रों पर भोजन दिया जा रहा था। अंबालापुझा में 4000, एलेप्पी में 3000, कोट्टायम में 5000, चंगनास्सेरी में 3000, पारूर में 8000 की संख्या में लोग मौजूद थे।
राज्य के प्रतिनिधियों ने जनता का मनोबल बढ़ाने के लिए हर प्रभावित इलाके का दौरा किया और लोगों की भुखमरी को कम से कम करने के लिए हर संभव प्रयास किया।