हाल ही सोसल साइट्स पर मैसेज के आदान-प्रदान को लेकर एक नई पॉलिसी बनने वाली थी जिसमें व्हाट्सऐप, स्नैपचैट और गूगल हैंगआउट्स जैसे इंटरनेट बेस्ड कम्युनिकेशन से इन्क्रिप्टेड मैसेज डिलीट करने को गैरकानूनी बनाना चाहती थी।

सरकार चाहती थी कि 90 दिन पुराने मैसेज प्लेन टेक्स्ट में सेव करके रखें। यह नियम इसलिए बनाने की कवायद की जा रही थी ताकि जांच-पड़ताल में पुलिस के मांगे जाने पर यह दिखाना पड़े।

बताते चलें कि सरकार की ओऱ से लिया गया यह निर्णय आतंकवाद जैसी घटना का पता चलाने के लिए लिया गया था लेकिन इस निर्णय से खिलाफ कई आवाजे उटने लगी तो फिर से सरकार को झुकना पड़ा। लिहाजा अब सरकार की ओऱ से अपनी पॉलिसी वापस ले ली गई और सभी सोशल साइट्स यूजर्स को अपनी स्वतंत्रता वापस मिल गई।

सरकार ने यह ड्राफ्ट वापस ले लिया है, ऐसे में यूजर्स की आजादी बरकरार रहेगी। सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकार मसौदा दोबारा तैयार करवाएगी और फिर एक नया ड्राफ्ट लाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एन्क्रिप्शन को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है।

इस मामले में कांग्रेस ने भी करारा प्रहार किया है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि एन्क्रिप्शन पॉलिसी लाकर सरकार आम लोगों की भी जासूसी करना चाहती है। ऐसा करके वह जासूसी का नंगा नाच करना चाहती है। मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार 90 दिनों तक आपके चैट का रिकार्ड रखवाना चाहती है, ताकि वह जान सके कि आप बेडरूम में क्या करते हैं।

आपको बता दें कि इससे पहले सोमवार को सरकार ने सफाई दी थी कि अभी कोई नियम नहीं बनाया गया है, बल्कि सिर्फ जनता से राय मांगी गई है। वहीं दूसरी ओऱ सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह जिम्मेदारी सिर्फ इंटरनेट बेस्ड मैसेजिंग सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों पर होगी।

हालांकि, इसके लिए अभी नियम नहीं बनाए गए हैं। जनता से इस बाबत राय मांगी गई है। इतना ही नहीं, सरकार की तरफ से साफ किया गया है कि ड्राफ्ट पॉलिसी में सोशल मीडिया साइट्स व मैसेजिंग ऐप्स को रियायत दी गई है।

इंटरनेट सुरक्षा पर नेशनल एन्क्रिप्शन पॉलिसी के अनुसार, मैसेज डिलीट न करने के साथ यूजर्स को जरूरत पड़ने पर इनका विवरण सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां के साथ साझा करना होगा।

इसमें कहा गया है कि इंटरनेट कंपनियों को एन्क्रिप्शन तकनीक भी सुरक्षा एजेंसियों से साझा करनी पड़ेगी, वरना उन्हें गैरकानूनी करार दिया जा सकता है।